पाती - गुरुविन्दर सिंह
मिलल की जइसे भूलल थाती लिखल तहार मिलल जब पाती। रोजे रात निहारत रहनी हीते-नाते सबसे कहनी बहल लोर मोर साँझ-पराती। मन में, बहुते बिसवास रहल हिय...
मिलल की जइसे भूलल थाती लिखल तहार मिलल जब पाती। रोजे रात निहारत रहनी हीते-नाते सबसे कहनी बहल लोर मोर साँझ-पराती। मन में, बहुते बिसवास रहल हिय...
कविता में हम छींकब सगरो कविता में हम खोंखब लाग रहल बा तब जाके हमहूँ सम्मानित होखब। हम का जानी साहित्य ह का, का होखेला ई भाषा बाकिर जे लिख के...
खेते से जब खटिके फलाने, अपने घरे में आवेले। लेइ लोटा में पानी दुल्हनिया, गुड़े के साथे धावेले।। घुट-घुट एक्कइ सांस में पूरा लोटा चाटि गयेन भ...
पानी अँखिया के मरल, बदलल जग के रीत। लंपट ठाढ़ बुलंदी पर, पनिहर बा भयभीत॥1 ॥ बनि जाले जिनगी सहज, सुखदाई के इत्र। मिलले अगर सुभाग से, एको मनगर ...
फगुआ के अनवाध में, चइत दुआरे ठाढ़। ललकी किरिन परात के, तकलसि घूघा काढ़। मादक महुआ गंध में, डूबल बनी समूल। हवा कटखनी बिन रहल, मउनी भरि-भरि फू...
मौसम के सिरमौर हऽ बसंत। अइसे सब मौसम के आपन महत्व आ विशेषता होला। बाकिर बसंत के एगो अलगे राग आ रंग होला। बसंत आवते मन रंगीन हो जाला। का बूढ़...
इहाँ हर केहू, हर बात के, छुपावत बाटे कहाँ खोलिके केहू कुछ बतावत बाटे। इहवाँ केहू ना, प्रीत के मरम समझत बा सभे हंसिके इहवाँ उधुवाँ उठावत बाटे...
इक दिन बहुत हाहाकार मचल भात, दाल, तरकारी में। काहे भैया नून रूठल बा बैठक भइल थारी में। दाल- तरकारी गुहार लगइलक नून के बैठ गोर थारी में तरकार...
सभे के चाह मोती हीरा के होला। बाकिर मोती आ हीरा ना हाथे लागेला आसानी से। कबीर साहब कहले बाड़ें कि जिन खोजा तिन पाईया, गहरे पानी पैठ। मैं बपु...
मैना के आगामी 122वाँ अंक (वर्ष - 10 अंक: 122 फरवरी 2024) खाती भोजपुरी साहित्यिक समुदाय से रचना सादर आमंत्रित बा। रउवाँ सभे आपन कविता, कहानी,...
अंक के रचना (मैना: वर्ष - 10 अंक - 121 (जनवरी 2024)) संपादकीय राम : एक अखंड अवतार-चेतना - दिनेश पाण्डेय रामचरितमानस का कसवटी पर लव-कुश कांड ...
सिय राम मय सब जानी सगरी जग अउरी हर बेकति में प्रभु श्रीराम के वास बा। एह जग में केवनो अइसन जगह भा बेकति नइखे जेकरा में प्रभु श्रीराम के वास ...
अवतार के साँच ‘अवतार’ शब्द के प्राचीन प्रयोग यजुर्वेद में प्राप्त बा- “ उप ज्मन्नुप वेतसेऽवतर नदीष्वा। अग्ने पित्तमपामसि मण्डुकि ताभिरागहि स...
हमरा बचपन में दूइ गो ज्वाला प्रसाद जी के टीका वाला रामचरितमानस पढ़े के मिलल बा, जवना में लव-कुश कांड त रहबे कइल, छेपको कहानी बहुत पढ़े के मि...
२२ जनवरी इतिहास में हमेशा बदे दर्ज हो गइल बिया। प्रभु श्री राम, सबके राम, सबमें राम जइसन दृश्य अब हर जगह नजर आ रहल ह्ऽ। सगरी विश्व राममय हो ...
का जमाना आ गयो भाया, साँच के साँच कहे भा माने में नटई से ना त बोलS फूटता, आ ना त बुद्धिये संग-साथ देत देखात बा। ऐरा-गैरा,नथ्थू-खैरा सभे गिया...
"जय रामजी के भाई," सामने से आवत बुधन के देख के लोटन प्रनाम कइलें आ पूछलें, "का हाल बा ?" "राम राम भाई। सब रामजी के ...