
बाते कुछ आउर बा - दिलीप कुमार पाण्डेय
बाते कुछ आउर बा... मेहर का पगार के चईत का जाड़ के घोड़ा का लतार के, बाते कुछ आउर बा। नाच में लबार के, ढ़ारे में धार के। माह में कुआर के, बात...
बाते कुछ आउर बा... मेहर का पगार के चईत का जाड़ के घोड़ा का लतार के, बाते कुछ आउर बा। नाच में लबार के, ढ़ारे में धार के। माह में कुआर के, बात...
माई सिलबट्टा पर मरिचा, नून आ लहसुन के चटनी पिसत समुझवली- बाबू हो! अलग-अलग बा ए तीनू के स्वाद, आपन रूप, आपन रंग, आपन गुन, आपन बुनियाद। खाली म...
7. अनुवाद उहे, जे रच बस जाए एक महीना पहिले एक आदमी एगो प्रश्न पूछि के हमरा के अजीब पेशोपेश में डाल देले रहे। जइसे ‘थैंक्यू’ का प्रतिउत्तर मे...
(1) जब प्रेम के इजहार चले लागल तब नेह के सनसार चले लागल आदत जरे ओला के ढह गइल नदी में नाव के सवार चले लागल। ----------------- (2) एह बसंत के...
मुश्किल बा मन के समझावल आगे-पीछे दउड़ल-धावल आ/मुश्किल बा रुकल-थथमल चलत राह में अचके पंजरल। राह चलत जाईं अकेला मिले पत्थर भा/मिले ढेला जन करी...
आपै आपको जानते, आपै का सब खेल। पलटू सतगुरु के बिना, ब्रह्म से होय न मेल॥1॥ पलटू सुभ दिन सुभ घड़ी, याद पड़ै जब नाम। लगन महूरत झूठ सब, और बिगाड़ै...
मन के अँगना में एगो रंगीन सतरंगी चूनर लहरा गइल बा। बहे लागल बा बसंती बयार, जेहमें सोनपुर के मेलवा जइसन गंध बसल बा। धरती के आँचल में सरसों के...
सगुण के फेरा में निर्गुण ना भेंटाइल ना रामजी मिलले,ना कृष्ण कन्हाई फेरा कवनो चीज के ठीक ना ह ई सुनले रहीं बाकिर तोतवा दाल के फेर में जाल मे...
जिनगी के दुपहरिया खोजे जब-जब शीतल छाँव रे पास बोलावे गाँव रे आपन, पास बोलावे गाँव रे। गाँव के माटी, माई जइसन खींचे अपना ओरिया हर रस्ता, चौरा...
प्रेम एगो अइसन लड़िका जिनका पर घर परिवार के पूरा जिम्मेदारी रहे, ऊ अपना परिवार में बड़ रहले एहिसे उनका हर चीझु के ख्याल रखे के रहे,अपना परिवार...
4. जरूरी बा भोजपुरी के स्वाभिमान से जोड़ल ओइसे त बहुत पहिले से संविधान का आठवी अनुसूची में भोजपुरी के डलवावे के माङ भोजपुरिया करत बाड़न बाकिर ...
दुख के चादर ओढ़ले मनई के आँगन इंतजार रहे सुख के एगो छोट टुकड़ा के काहे राह भुला गइल सुख के चान। अमावस्या त घरे बइठल रहे इंतजार रहे पूनिया के...
हमरा खातिर उज्जर दिनआ अँजोरिया रात का बा? हवा के झकोरा से उधियाइल माँटी में लसराइल ओही में समाइल माँटी में मिलि के माँटी बनि गइल माँटी खातिर...
राजू आज परदेश से अपना देश जा तारें। वइसे त राजू के ऑफिस बम्बई में बा बाकिर ऑफिस का काम से हफ्ता - दस दिन खातिर विदेश जात आवत रहेलें। ई पहिला...
केतना दिन अउरी चलत रही चकरी। कूटि-पीसि खा गइनीं जिनिगी के सगरी। जोरत-अगोरत में थाती हेराइल तनमन के गरमी सब देखते सेराइल धार में चिन्हाइल ना,...
अहमेव वात इव प्र वाम्यारभमाणा भुवनानि विश्वा। परो दिवा पर एना पृथिव्यैतावती महिना सम्बभूव।। १ (हमीं हवा का तरे बहीले बिस्व भुवन के अँकवारी ल...
भदई के असरा प'फिरि गइल पानी, लउके ना बदरी के नाँवो-निसानी अबकी असढ़वा बिगरि गइल जतरा बरिसल ना रोहिनी बिराइ गइल अदरा परि गइल अझुरा में सउ...