भारी भरम बा - देवेन्द्र कुमार राय
आगे जाईं कि पिछे लखात नइखे, चुपे रहीं कि बोली बुझात नइखे। जमते जमतुआ जुगजितना भइल, हमरा जोडी़ के केहू भेंटात नइखे। जे बइठल बा उहे घवाहिल भइल...
आगे जाईं कि पिछे लखात नइखे, चुपे रहीं कि बोली बुझात नइखे। जमते जमतुआ जुगजितना भइल, हमरा जोडी़ के केहू भेंटात नइखे। जे बइठल बा उहे घवाहिल भइल...
नेता जी सोमार के गाँव में वोट माँगे आवेवाला रहनीं। अतवारे के साँझि के नेता जी के खास पूरन घर-घर फूल के माला बाँटत रहलें। पूरन के गिनती गाँव ...
अंक के रचनाकार (मैना: वर्ष - 11 अंक - 122 (फरवरी-मई 2024)) संपादकीय काव्य कनक किशोर सुरेश कांटक विद्या शंकर विद्यार्थी आकाश महेशपुरी उदयशंकर...
मैना के दस बरिस ई बात 2013 के हऽ। ओह समय इन्टरनेट भोजपुरी भोजपुरी साहित्य कम उपलब्ध रहल। बेवसाइट के रुप में डॉ ओमप्रकाश जी शुरू कइल भोजपुरि...
डॉ सुनील कुमार पाठक भोजपुरी साहित्य के एगो सुपरिचित हस्ताक्षर हवें जे गद्य, पद के साथे भोजपुरी आलोचना के क्षेत्र में आपन बरियार उपस्थिति दर्...
जब भाषा गिरवी हो जाला सिंहासन के दरबार में, जब पापी के बचावे खातिर कलम चलेला अखबार में। जब सूरज उगे से पहिले उनका दफ्तर में जालन, लागे अइसे ...
गदराइल गेहूँ के खेत में, भा मसुरी-मटर के अगरात फूलवन के बीचे बा ऊँखि के जामत पुआड़ी के पोंछ पकड़ले भा अकेलहूँ अपना हरिहर देहिं पर पीअर अँचरा ल...
जन्म लेते पूत के उछाह से भरेला हिय, गज भर होइ जाला फूलि के ई छतिया। पाल-पोस के बड़ा करेला लोग पूत के आ, नीमने से नीमने धरावे इसकुलिया। होखते ...
कुकुरन के बारात कुकुरन के बारात लेअइलऽ समधी तूँ सधुअइलऽ जूता पर नजर इहनिन के घाउंज तूँ करवइलऽ। कमे कुकुर बाड़न सन ई जवन टांग ना टारसन जगहा क...
सबके चाचा भईया कहएम दादा दादी फुआ कहएम हम बुरबक बानी बुरबक रहेम लोग कहेला ना जहिय बिहार जईब तऽ तु खईबऽ मार गोली बंदुक अउर गुंडा राज काहे ...
का हो बसंत भाई, ईहे होई ? जलचर थलचर नभचर सभमें पइसि पइसि के सभका के तू जगावेलऽ सुस्ती पस्तीआउर निराशा के तू दूर भगावेलऽ सूखल के हरियर क देलऽ...
हमरी इयाद के मोटरी हमेशा लगवे रहेला। जब मन करेला खोल के बोल बतिया लेनी आ फेरु से गठिया के ध देनीं। घर के काम-काज की साथे साथे इहो चलल करेला।...