
औचक डंका पड़ी मन में कर होशियारी हो - दरसन दास
औचक डंका पड़ी मन में कर होशियारी हो। काल निरंजन बड़ा खेलल बा खेलाड़ी हो।। सुर नर मुनी देवता लो के मार के पछाड़ी हो। ब्रह्मा के ना छोड़ी...
औचक डंका पड़ी मन में कर होशियारी हो। काल निरंजन बड़ा खेलल बा खेलाड़ी हो।। सुर नर मुनी देवता लो के मार के पछाड़ी हो। ब्रह्मा के ना छोड़ी...
कहु का ना छुटी बा भजे के हरि नमवा।। धधा तोरा धावल फिरे चढ़े गरदनवा माया के बिसरेला भइल बा हैरनवा।। साधु देखी पीठ देके भागेले चुहानवा...