
घाघ कऽ मौसम विज्ञान - 3
अद्रा भद्रा कृत्तिका, अद्र रेख जु मघाहि। चंदा ऊगै दूज को सुख से नरा अघाहि॥12॥ सोम सुक्र सुरगुरु दिवस, पौष अमावस होय। घर घर बजे बधावनो, दु...
अद्रा भद्रा कृत्तिका, अद्र रेख जु मघाहि। चंदा ऊगै दूज को सुख से नरा अघाहि॥12॥ सोम सुक्र सुरगुरु दिवस, पौष अमावस होय। घर घर बजे बधावनो, दु...
तीतरवर्णी बादली विधवा काजल रेख। वा बरसे वा घर करे इमे मीन न मेख॥6॥ उत्तर चमके बीजली पूरब बहे जु बाव। घाघ कहे सुण भड्डरी बरधा भीतर लाव॥7॥ ...
सर्व तपै जो रोहिनी, सर्व तपै जो मूर। परिवा तपै जो जेठ की, उपजै सातो तूर॥1॥ कातिक सुदी एकादशी बादल बिजली होय। कहे भड्डरी असाढ़ में, बरखा चो...