
दुर्गेन्द्र अकारी के तीन गो कविता
आगे डेट बढ़वले बा ना हितवा दाल रोटी प हमनी के भरमवले बा आगे डेट बढ़वले बा ना। जाने कब तक ले बिलमायी, हितवा देवे ना बिदाई बिदा रोक रोक के...
आगे डेट बढ़वले बा ना हितवा दाल रोटी प हमनी के भरमवले बा आगे डेट बढ़वले बा ना। जाने कब तक ले बिलमायी, हितवा देवे ना बिदाई बिदा रोक रोक के...
हितवा दाल रोटी प हमनी के भरमवले बा आगे डेट बढ़वले बा ना। जाने कब तक ले बिलमायी, हितवा देवे ना बिदाई बिदा रोक रोक के नाहक में बुढ़ववले बा। ...
जेकरा कम्मर ना, चट्ट, बरतन बा, रे लोगवा, जेहल में बंद बा ना! केहू-केहू से बरतन ले के, कसहूं करत भोजन बा जेल जीवन प ध्यान ना देता, केहिविधि...
बाघवा गरजे जइसे गरजेला दरिया बकरी के अंखिया से चले पवनरिया बाघ कभी बच्चा प नजरिया लड़ल बाघ से बकरिया........ गरजि के बाघवा बकरिया प छरके ...