
धरीक्षण मिश्र के तीन गो कविता
लोकतंत्र के मानी ई बा कथनी पर करनी फेरात नइखे, दिमाग गरम रह ता कबो सेरात नइखे, हर के दुगो बैल कइसे मान होइहें सन जब एगो बुढ़ गाई घेरा...
लोकतंत्र के मानी ई बा कथनी पर करनी फेरात नइखे, दिमाग गरम रह ता कबो सेरात नइखे, हर के दुगो बैल कइसे मान होइहें सन जब एगो बुढ़ गाई घेरा...
विद्यालय के भवन सुहावन बौद्ध तीर्थ के पुरवा पावन। देवरिया से कवि सब आइल। पूरा उन्चासे कम बावन। एक आध के कमी परे त हम के एगो गनि लीं अवरी...
दोसरा के घर जरा के हाथ के सेंकले न बा । के आन का शुभ कीर्ति पर कीचड़ कबें फेंकले न बा॥ कहें हीरा चन्द ओझा चन्द कवि पृथिराज का - दरबार म...
कथनी पर करनी फेरात नइखे, दिमाग गरम रह ता कबो सेरात नइखे, हर के दुगो बैल कइसे मान होइहें सन जब एगो बुढ़ गाई घेरात नइखे लोकतंत्र के मानी...
पहिला चरण (सवैया):- ध्रुव निश्चित आपन जीति बुझीं अबकी उठि के तनि सामने आईं। हमरा सबके रुख मालुम बा बतिया हमरो सुनि लीं पतियाईं। अवरी...
अध्याय - 8 कुक्कुर केतनो मेहनत कइलसि खेती के हालत ना सुधरला । उलटे भारी मँहगी अकाल दूनूँ आ के एक साथ परल ॥1॥ ज्यादे से ज्यादे पोरसा भर ध...
अध्याय - 7 एकर दुर्दशा देखि करि के केहु देवी जी के दया भइल। दुख दुबिधा दूर गइल सगरे आ जनम फेरु से नया भइल॥1॥ खेती के पशु के रखवारी कुक्क...
अध्याय - 6 सन बावन से सन तिरसठ तक जब जहाँ जरूरत पड़ल हवे। कुक्कुर हमार ई तब तहवाँ घोघिया घोघिया के लड़ल हवे॥1॥ लेकिन सन चौसठि में एकर...
अध्याय - 5 हमनी के कुक्कुर तेज हवे ई राति राति भर जागेला। ई सब को से अझुरा जाला डर एकरा तनिक न लागेला॥1॥ एको पतई जो खरके त ई बहुत अगर्द ...
अध्याय - 4 इसवी अनइस सौ बावन में कुक्कुर दल पहरा पर बइठल। कुकुरन के देखि हुँड़ारन का मन में भारी शंका पइठल॥1॥ हमनी के नीमन तेज कुकुर युग...
अध्याय - 3 दिल्ली में और लखनऊ में हमरो एकहे गो घर बाटे। ऊ छोट मोट ना बा कवनों दूनूँ घरवा लमहर बाटे॥1॥ ओही घर में राखल हमार सब हक पद के ग...
अध्याय - 2 जवना कुक्कुर के नाँव अधिक जनता ओह घरी बतावेले। ओही कुक्कुर का गटई में सींकरि सरकार लगावेले॥1॥ वेतन भत्ता से जकड़ि जकड़ि भेजेल...
अध्याय - 1 कुक्कुर के हवे कहानी ई रउरा शायद पतिआइबि ना । बाकी हमहूँ कहि दे तानीa हम झूठ बात बतिआइबि ना ।। त्रेता युग में एगो कुक्कुर ...
ठनगन समधी नाधि के, बकें अण्ट के पण्ट। बेटिहा भेजले अन्त में, लट्ठद्धर कुछ लण्ठ॥ लट्ठद्धर कुछ लण्ठज्जबर, गरज्जद्धरधर। धद्धग्गरदन चच्चच्...
आइल सुराज बा सही सुनात बात कान में । न आँखि से देखात बा न आवेत बा ध्यान में ।। सुराज ना देखात बा जवार में पथार में । न ढाब ढाठ भाठ म...
पैशाच बिआह: (दुर्मिल सवैया 8 सगण) युवती रहे सूतलि मातलि या कतहीं जो अकेल अचेत मिले। उहवें करि भंग कुमारता के चुपके से चोराइ के भागि चल...
पन्द्रे सौ सताइस में बाबर के राज भैल हारि भैल छब्बिस में लोदी अफगान के। मुवले औरंगजेब सत्रह सौ सात बीच छिन्न भिन्न राज भैल मुगल खन...
कइसन घर बर मिली कहाँ से धन दहेज के आयी। कइसन मिलिहें सासु ननद जहवाँ बेटी बियहायी। भारी चिन्ता एगो माथापर सवार हो गइल। बाटे बेटी के ब...
आइल सुराज बा सही सुनात बात कान में। न आँखि से देखात बा न आवेत बा ध्यान में॥ सुराज ना देखात बा जवार में पथार में। न ढाब ढाठ भाठ...
धरीक्षण मिश्र जी भोजपुरी के बरिआर खंम्हा हवीं जे बहुत ढेर कविता लिखले बानी औरी ओहो अलग-अलग विषयन पर। उँहा के 'साँप के सुभाव' क...