
असहिं का वृद्ध लो के होई दुरगतिया - आकाश महेशपुरी
जन्म लेते पूत के उछाह से भरेला हिय, गज भर होइ जाला फूलि के ई छतिया। पाल-पोस के बड़ा करेला लोग पूत के आ, नीमने से नीमने धरावे इसकुलिया। होखते ...
जन्म लेते पूत के उछाह से भरेला हिय, गज भर होइ जाला फूलि के ई छतिया। पाल-पोस के बड़ा करेला लोग पूत के आ, नीमने से नीमने धरावे इसकुलिया। होखते ...
चढ़े कपारे अगर गरीबी दुख पहुँचावे पहिले बीबी। पटिदारन के खूब टिभोली ऊपर से मेहरी के बोली। राशन-पानी के परसानी याद करावे नाना-...
अचरज बा कि तहिए मनई चार गोड़ के हो जाला शादी क के जहिए से घर के झंझट मेँ खो जाला। दू गो लइका हो जेकरा उ आठ गोड़ से चलेला जाल बढ़े मकर...
अचरज बा कि तहिए मनई चार गोड़ के हो जाला शादी क के जहिए से घर के झंझट मेँ खो जाला। दू गो लइका हो जेकरा उ आठ गोड़ से चलेला जाल बढ़े मकर...
कच कच कच कच बोले सन अचरज बा कि तहिए मनई चार गोड़ के हो जाला शादी क के जहिए से घर के झंझट मेँ खो जाला। दू गो लइका हो जेकरा उ आठ गोड़ ...
गउँवों में काँव काँव बा बिगड़त जात सुभाव बा गउँवों में काँव काँव बा रहिया चलत डेराला जियरा अइसन भइल दुराव बा बिगड़त जात सुभाव........ मार...
रचना: रहे इहाँ जब छोटकी रेल विधा: भोजपुरी कविता स्वर: आकाश महेशपुरी
दीपावली के होते भोर कि लागेला अइले सन चोर। सुतले-सुतले कर दे बारे जागेला ऊहो भिनुसारे। सूपा लेके फट फट फट फट बकरी जइसे पट पट पट पट। खटर ...
दर-दर ठोकर खायेक परी पढ़ब ऽ ना पछतायेक परी। पढ़ लिख के राजा के होई ई सोची जिनिगी भर रोई आइल बाटे नया जमाना भइल कहाउत बहुत पुराना। कहे इहे...
देखल जा खूब ठेलम ठेल रहे इहाँ जब छोटकी रेल। चढ़े लोग जत्था के जत्था छूटे सगरी देहि के बत्था। चेन पुलिग के रहे जमाना रुके ट्रेन तब कहाँ कहाँ...
खेदारू के बिआह फूला संघे बड़ी धूमधाम से भइल। बिदाई के बेरा फूला के माई-बाप, भाई-भउजाई, चाचा-चाची सभे उदास रहे। फूला के सखी चमेलियो कम उदास ...
बिगड़त जात सुभाव बा गउँवों में काँव काँव बा रहिया चलत डेराला जियरा अइसन भइल दुराव बा बिगड़त जात सुभाव........ मारा-मारी झूठे झगरा दुःख से भर...
भगली दुर्गा अउरी उनकर बघवो भागि पराइल नवरातन मेँ बकरा काटे जब लोग मन्दिर आइल कहलसि बघवा हे देवी हम त तहरे अंश हईँ बाघ तरे बा रूपवा...