
चलऽ फुलेसर रङ्ग उड़ावऽ - सुभाष पाण्डेय
चलऽ फुलेसर रङ्ग उड़ावऽ। सुख-दुख लागल रही उमिर भर, कुछ दिन त आनन्द मनावऽ। चलऽ फुलेसर, रङ्ग उड़ावऽ॥ धरती पहिन पिअरकी साड़ी फगुआ के कइली तइय...
चलऽ फुलेसर रङ्ग उड़ावऽ। सुख-दुख लागल रही उमिर भर, कुछ दिन त आनन्द मनावऽ। चलऽ फुलेसर, रङ्ग उड़ावऽ॥ धरती पहिन पिअरकी साड़ी फगुआ के कइली तइय...
अइबऽ ना घरे जो बलमुआ लहुरा लीहें लहरा लूट॥ आंजर रंगिहें पांजर रंगिहें, जीव अकेल कहऽ कइसे बचिहें। मुंह रंगी झरिहें लो रूप हो, अइबऽ ना घरे ज...
चिता भसम लिए हाथ शिवा नहीं खेल रहे होरी॥ अजुवो हौ प्रेतन को साथ शिवा नहीं खेल रहे होरी॥ सगरों मिलावट नाही भावत खोरिन केहू फाग ना गावत अनही...
असो जाए फगुनवा ना बाँव सजना कुछो हो जाए अइह तू गाँव सजना। काल्हु बुधनी के डेगे ना हेठा परे ओहके फुरसत ना हमरा से बातो करे ओकर दुलहा जे प...
फागुन के आसे होखे लहलह बिरवाई। डर ना लागी बाबा के नवकी बकुली से अङना दमकी बबुनी के नन्हकी टिकुली से कनिया पेन्हि बिअहुती ...
लागेला रस में बोथाइल परनवा ढरकावे घइली पिरितिया के फाग रे। धरती लुटावेली अँजुरी से सोनवा बरिसावे अमिरित गगनवा से चनवा इठलाले पाके जवानी अ...
बरिज कन्हैया के तनिका ए मइया मारले रंग पिचकारी। एने से मारेले ओने बचाई चारू ओरि रंगवा से दिहले भिंजाई दिहले सुरतिया बिगारी। भींजल देंहिया ...
फगुआ में मातेले जवान हो लाला फगुआ में मातेले जवान। आहे अंगना में सिलवा प भङिया पिसाला। रंग में गोताला मएदान। हो लाला रंग में गोताला मएदान...
फगुआ कहीं, होरी कहीं भा होली कहीं, ई हटे एकही. ई बसंतोत्सव हउवे. बसंत जब चढ़ जाला त उतरेला कहाँ ? एहीसे त होली के रंगोत्सव के रूप में मनावल...
कुइयाँ मे भंगिया घोराइल सखि फागुन बाटे अगराइल॥ महुआ प बाटे हो अमवा प बाटे अमवा प बाटे, अमवा प बाटे अरे तुलसी के चउरा रंगाइल सखि फागुन बाटे...
जब अनही सभ सुघ्घर लागे मन महुवाइल सुत्तत जागे मुसुकी के का हाल सुनाई सभही फगुआइल बा॥ चलत बहुरिया पायल बाजे बब्बो के अब मन ना लागे भौजी के...
बियहल तिरिया के मातल नयनवा, पियवा करवलस ना गंवनवा ,फगुनवा में॥ सगली सहेलिया कुल्हि भुलनी नइहरा। हमही बिहउती सम्हारत बानी अँचरा। नीक लागे न...
देश भइल निहाल देश भइल निहाल, कइलें कमाल बलमुआ॥ मिग से खेदलें एफ सोलह के, दागते गोला लागल उ लहके। गलल नाहीं दुश्मन के दाल हो गलल नाहीं दुश्...
दुखी देश के संग, रंग हम कइसे खेली हों।टेक। पहिने के कपड़ा अब नइखे, खाए के न अनाज कउड़ी कउड़ी के हमनी का, तरसत बानी आज। रंग हम कइसे खेली हो...
बियहल तिरिया के मातल नयनवा, फगुनवा में॥ पियवा करवलस ना गंवनवा, फगुनवा में॥ सगली सहेलिया कुल्हि भुलनी नइहरा। हमही बिहउती सम्हारत...
देश जरत बा धू धू कईके सद्बुद्धि हेराइल बा॥ कइसे कहीं कि होरी आइल बा॥ चंद फितरती लोग बिगाड़ें मनई इनकर नियत न ताड़ें मगज मरा...
सखी, घरे मोरे अइने नंदलाल॥ खेलन को होरिया॥ हुलसत हियरा अँखियो मातल सखी तलफत राधिका बेहाल॥ खेलन को होरिया॥ सखी, घरे मोरे अइने ...
आपसी सनेह क सिंगार गाँव हमरे। उड़े लागल रंग आ गुलाल गाँव हमरे॥ राते अँखियो ना नींद, जबले आइल बसंत। दिने दिलवा बेचैन, याद आंवे हम...
मनवा के भीतरी के खुन्नस मेटाइब दुअरे दुअरे जाई के फगुओ सुनाइब करबे जी भर धमाल एही होरिया में। उड़ी अबीर गुलाल, एही होरिया में॥ ...
सारा ऋतुवन के राजा वसंत के मौसम में फागुन के पूर्णिमा के मनावे जाये वाला इ परब आनंद के बयार बहावे में हर साल सक्षम होला आ भारत के पुरातन ...