
विश्वनाथ प्रसाद ‘शैदा’ के दू गो कविता
करे के ना चाहीं खुशामद केहू के करे के ना चाहीं कहीं बात वाजिब डरे के ना चाहीं। जवन बात सपनो में दे दीं केहू के त बजरो के परले टरे के ...
करे के ना चाहीं खुशामद केहू के करे के ना चाहीं कहीं बात वाजिब डरे के ना चाहीं। जवन बात सपनो में दे दीं केहू के त बजरो के परले टरे के ...
रहलीं करत दूध के कुल्ला छिल के खात रहीं रसगुल्ला सखी हम त खुल्लम खुल्ला, झूला झूलत रहीं बुनिया फुहार में सावन के बहार में ना हम त रहलीं ट...
खुशामद केहू के करे के ना चाहीं कहीं बात वाजिब डरे के ना चाहीं। जवन बात सपनो में दे दीं केहू के त बजरो के परले टरे के ना चाहीं। रखीं ज...
जोन्हरी भुँजावै घोनसरिया चलीं जा सखी। जोन्हरी के लावा जइसे जुहिया के फुलवा, भूँजत झरेले फुलझरिया। चलीं जा सखी॥ काल्हू से ना कल ...
खुशामद केहू के करे के ना चाहीं कहीं बात वाजिब डरे के ना चाहीं। जवन बात सपनो में दे दीं केहू के त बजरो के परले टरे के ना चाहीं। ...
हो भइया! दुनिया कायम बा किसान से। हो भइया! तुलसी बबा के रमायन में बाँचऽ, जाहिर बा सास्तर पुरान से। भारत से पूछऽ, बेलायत, से पूछऽ, ...