डाह बा - नूरैन अंसारी
जेने देखीं वोने,बस जलन बा डाह बा!! गावं समाज के, इ घाव गहिराह बा!! आपन त चलत बा, कौनो लाखन खींच-खाँच के, बाकिर दोसरा के चक्क्रर म...
जेने देखीं वोने,बस जलन बा डाह बा!! गावं समाज के, इ घाव गहिराह बा!! आपन त चलत बा, कौनो लाखन खींच-खाँच के, बाकिर दोसरा के चक्क्रर म...
हर साल में महज एक बार आवेला रमजान! संगे सनेश भाईचारा के ले आवेला रमजान! मिटावेला इ ह्रदय से सगरी क्रोध-किना-कपट के, जिनगी सादगी से...
अपना भाषा, अपना माटी के हिरोह रहे दी! केतनो बदलीं बाकिर मन में नेह-छोह रहे दी! खूब लड़ी रवुआ, धरम के नाम पे लड़ाई, बाकिर मनवता के प्...
अपना भाषा, अपना माटी के हिरोह रहे दी! केतनो बदलीं बाकिर मन में नेह-छोह रहे दी! खूब लड़ी रवुआ, धरम के नाम पे लड़ाई, बाकिर मनवता के प्...
मन में नेह-छोह रहे दी! अपना भाषा, अपना माटी के हिरोह रहे दी! केतनो बदलीं बाकिर मन में नेह-छोह रहे दी! खूब लड़ी रवुआ, धरम के नाम पे ...
केतनो रोई बाकिर केतनो रोई बाकिर,अखिया लोरात नइखे! दुःख दईबा रे ,जिनगी से ओरात नईखे! कर देहलस बेभरम महंगाई आदमी के, बोझ जिनगी के ढोवले ढ...
केतनो रोई बाकिर,अखिया लोरात नइखे! दुःख दईबा रे ,जिनगी से ओरात नईखे! कर देहलस बेभरम महंगाई आदमी के, बोझ जिनगी के ढोवले ढोवात नइखे! कबो बाढ़ ...
धीरे-धीरे लोगवा.......... बदल जाला एक दिन निर्मोही बनके करेजवा के छल जाला एक दिन। अब कहाँ केहू याद करें बतिया पुरनका भूल जाला लोग सगरी दिन...
केतनो रोई बाकिर,अखिया लोरात नइखे! दुःख दईबा रे ,जिनगी से ओरात नईखे! कर देहलस बेभरम महंगाई आदमी के, बोझ जिनगी के ढोवले ढोवात नइखे! कबो बाढ़ ...
सर्दी, ठिठुरन, कँपकँपी के बीतते तुरंत ओस, पाला, शीतलहरी, के होते ही अंत झुमत, गावत, हंसत हँसावत आ गइल बसंत। मोजर धइलस आम पर, गमके लागल फुल...
घर घर संस्कृति शहर वाली लागल पसारे पाँव एसी-कूलर के हवा में दब गइल बरगद के छाँव समय के संगे केतना बदल गइल बा गांव! न रहल पुरनका लोग, न र...
जब-जब पढेनी हम बचपन के कहानी रे माई!! बड़ा मन परे, आपन टुटही पलानी रे माई!! चुए टिपिर-टिपिर बरखा में पानी रे माई!! बड़ा मन परे ,आपन टुटही पल...
हरदम हँसत अखियाँ के, तनी रोवल भी जरूरी बा !! बंजर खेत पे कब्ज़ा खातिर, बोवल भी जरूरी बा !! खाली आपन सोचेब त, एक दिन हो जाएम अकेला, अपना संग...