
भोजपुरी साहित्य के वर्सटाइल जीनियस चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह 'आरोही' - संतोष पटेल
देश के आज़ादी के बाद भोजपुरी साहित्य के विकास में बहुत साहित्यकार लोगन के अनुपम योगदान बा जे सभे आपन कलम से लिखल के, सङ्गे सङ्गे दोसरो के कलम...
देश के आज़ादी के बाद भोजपुरी साहित्य के विकास में बहुत साहित्यकार लोगन के अनुपम योगदान बा जे सभे आपन कलम से लिखल के, सङ्गे सङ्गे दोसरो के कलम...
हँसल नीक ह / दवाई ह ना जानी जे / केतना बेमारी हंसले से ठीक हो जाला जैसे सुरुज के हंसले भाग जाला अंधरिया चनरमा के हंसले फइल जाला अंजोरिया ...
महानगर के शोभा झुग्गी-झोपड़ी एगो प्रश्नचिन्ह? भा विकास के चेहरा पर एगो चिंता के लकीर खाली अख़बार के पढ़ेवाला करेला फिकिर धनिक लोग के इहाँ नइ...
दुःख: के दरियाव में / जे बनत रहे पतवार / खेवनिहार आजू का भइल ओह बेवहार में बुझाते नइखे / हमार पडोसी अब चिन्हाते नइखे लागत बा / ओकरो हवा ल...
चंदा/ चंदा/चंदा कवनो लइकी के नाम ह चंदा / त कबहीं आकाश के पिंड ह चंदा/ बाकिर आज चंदा के ई दुनु अरथ/ बदल गइल बा अब चंदा के पर्यायवाची हो गइ...
गरमी बेसरमी ह निदरदी ह सुखा देला / ताल तलैया के पानी हरियाली के निसानी फुलवान के जवानी बादल के कहानी / चोरा ले ला / कहीं ना लउके ला तरान ...
भोजपुरी के पुरातन धरती चंपारण पर बाल्मीकि नगर निवासी भोजपुरी के वयोवृद्ध कवि भोजपुरी भाषा में पहिलका महाकाव्य पं. व्रतराज विकल द्वारा ...
‘भोजपुरी भाषा के प्रमाणिक रूप’, ‘भोजपुरी भाषा के एकरंगी रूप’, भोजपुरी भाषा के मानकीकरण के आवश्यकता’ जइसन विषय पर समय समय पर विद्वावनन ...
मनोरंजन प्रसाद सिंह के जनम १० अक्टूबर सन १९०० ई में शाहाबाद जिला के सुर्यपुरा नामक गाँव में भइल रहे। इनकर पिताजी श्री राजेश्वर प्रस...
रऊआँ सभ के सोझा श्री संतोष पटेल जी के पाँच गो कबिता जेवन जिनगी के ऊ बातन के बारे में बतियावट बाड़ी सऽ जेवन हमेसा भाग दौड़ में भुला-लुका जाल...