
अब आराम करे दऽ - प्रभुनाथ सिंह
बहुत भइल काम अब आराम करे दऽ। बहुत भइल नाम अब गुमनाम रहे दऽ। रहल ना रिस्ता, काम का नाम से। हो रहल बा नाम, सगरे बदनाम के। उसकावऽ मत अतीत क...
बहुत भइल काम अब आराम करे दऽ। बहुत भइल नाम अब गुमनाम रहे दऽ। रहल ना रिस्ता, काम का नाम से। हो रहल बा नाम, सगरे बदनाम के। उसकावऽ मत अतीत क...
छिप के चुपके से पी-पी आँसू प्यास दिल के बुझावल करीले केहू तड़पे ना हालत पर हमरा चोट खा-खा हँसावल करीले केतना मस्ती बा जल-जल मरे में ...
कहाँ गइल मोर गाँव रे! बोल रे नेता ! बोल रे हाकिम ! कहाँ गइल मोर गाँव रे। चॅवरा में छउकत दुपहरिया, बुढ़वा बर के छॉव रे॥ पनघट से र...
सबका में जब एक खून बा, अलग-अलग का मेला रे। मन्दिर-मस्जिद, गुरुद्वारा में, एक बसे भगवान रे, ‘बड़का-छोटका, ऊँच-नीच’ कह, मत बाँटऽ इ...
आदमी से आदमी अझुराइल बा। सभे एक दोसरा से डेराइल बा॥ मिल्लत बेमउआर आज के दिन। सभका मगज में भँग घोराइल बा॥ नाता-रिस्ता जड़ से टूट र...