शिवपूजन लाल विद्यार्थी के तीन गो कविता
टूटलऽ पलानी बा गली कूंची, घर आंगन, भइल पानी पानी बा, आइल बरसात पिया, टूटलऽ पलानी बा। गरजेला मेघा अरु कड़के बिजुरिया, बड़ा भकसावन लागे रतिय...
टूटलऽ पलानी बा गली कूंची, घर आंगन, भइल पानी पानी बा, आइल बरसात पिया, टूटलऽ पलानी बा। गरजेला मेघा अरु कड़के बिजुरिया, बड़ा भकसावन लागे रतिय...
मेघन के मिरदंग बजावत झूमत-गावत सावन आइल। मौसम सरस सुहावन आइल।। सोभत बा धरती के तन पर धानी चुनरी कतना सुन्दर दूर-दूर ले हरियाली के उड़त अँच...
रोपनी लागल धुआँधार हो, जिया हुलसे हमार। धरती के हँसत सिंगार हो, जिया हुलसे हमार।। रिमझिम-रिमझिम बरसे बदरिया मेघा मारे रंग-पिचकरिया, रसवा म...
गली कूंची, घर आंगन, भइल पानी पानी बा, आइल बरसात पिया, टूटलऽ पलानी बा। गरजेला मेघा अरु कड़के बिजुरिया, बड़ा भकसावन लागे रतिया अन्हरिया। अॅंखि...