
महंगाई - सुनील चौरसिया"सावन"
सूनि लऽ हे भाई! आ गइलबा कमरतोङ महंगाई॥ अब दाँत के नीचे ना पहुँची, सब्जी, चीनी अउरी दाल। अमीर, गरीब दूनो भाई के, हो गइल बाटे दशा बेहा...
सूनि लऽ हे भाई! आ गइलबा कमरतोङ महंगाई॥ अब दाँत के नीचे ना पहुँची, सब्जी, चीनी अउरी दाल। अमीर, गरीब दूनो भाई के, हो गइल बाटे दशा बेहा...
गोरी! जइबू ससुररिया कवन दिनवा? बचपन में नइहर मे छुटि के खेललू लाल-लाल ओठवा से अमरित चुववलू कबहूँ ना सोचलू ससुरा के बतिया कवन दिनवा गोरी! ज...
मत लs तूं जान हमार सुनs सुनs माई बाबा करीले बिनीतिया जनी लs तूं जान हमार बेटा का बदले बेटी बनवले राम का बाटे दोष हमार। अबही त बानी हम म...
चिन्ता के अगनी तहरा के लेस-लेस खा जइहें ए मैना तू आसरा छोड , तोता फेरु ना अइहें। काहें आंख मिलवलू कइलू फुदुक-फुदुक के खेला पतइन के...
बरखा के रिमझिम फुहार अंग-अंग सहला गइल बकुलन के उज्जर कतार तन-मन बहला गइल। पर्वत पर रूई के मेघ सुनेले यक्षी-संदेश धीरे स...
मोंछ मोछिया केतनो बाढ़ी नकिया के निचवे रही। ई हैं के ई हउएं हाकिम इहवां के बड़का ई हैं के इे सेठ-साहूकार हउएं मोटका ई हैं ...
रऊआँ सभ खाती डा. गोरख प्रसाद मस्ताना जी पाँच गो गीत परस्तुत बा। पाँचों गीत अलगा-अलगा ढंग के बाड़ी सऽ लेकिन घुम-फिर के जिनगी के साँच बतावत...
काब्य साहित्य के अईसन विधा हऽ जेवन ना कुछ कहि के भी बहुत कुछ कहे ले। तऽ कबो-कबो काल्ह, आज औरी काल्ह सभ देखावे ले। तऽ ओही जा कबो-कबो हाथ ध...
श्री रामदरश मिश्र जी हिन्दी के एगो बहुते बरिआर साहित्यकार हवीं। इहाँ के कबिता, कहानी, उपन्यास, ललित निबन्ध औरी संस्मरण नियन साहित्य ले ...
गवन ले जइहऽ, अभी तऽ उमिरिया बेवे काँच दिन कुछु छोड़ि दऽ, सीखे के बावे सब बात॥ गवन ले जइहऽ॥ ससूरा के उँच-नी...