
खाली बा देश - अरुण शीतांश
अहो खेतवो अभी खाली बा देशवो अभी खाली बा कबले खाली रही मनवा हमार। मन में कईगो परानी बाड़ी जा लोग बाड़न उनकर भी मन खाली बा खाली बा खलिहान ओखर...
अहो खेतवो अभी खाली बा देशवो अभी खाली बा कबले खाली रही मनवा हमार। मन में कईगो परानी बाड़ी जा लोग बाड़न उनकर भी मन खाली बा खाली बा खलिहान ओखर...
अब घर के चबेनी के फाँकी? के जाई गोबर ठोके? केकर घर से आगी आई? के माई के पउंवा दबाई? के सोहर गाई ? के झूमर पारी? के अलत्ता से प...
हवा में सभे बात करेला रउवा बानी मताइल! देशवो के बारे में सोंची कइसे केहू केकरो से अगराईल? डरे डरे बोलत बानी डरे डरे डोरा ड...
हम त जाते बानी खेत पऽ रउवा काहे पेरात बानी? उहंवाँ एगो परी बिया देखी के मुसुकियाई राउर जी भर आई। अईसन रात एको बाकी नईखे जे...
कवनो बात बा हम त जाते बानी खेत पऽ रउवा काहे पेरात बानी? उहंवाँ एगो परी बिया देखी के मुसुकियाई राउर जी भर आई। अईसन रात एको ...
रानी गावत बाड़ी गीत उनकर लागल बा प्रीत हम कोलकत्ता बानी जंगल झाड़ खोजत फिरत गावत पकावत लेके दूगो रुमाल फेफेरी भईल बा बेहाल...
जहिया के थरिया उधारी भइल अब दुपहरिया, ए करिया भाई ! हमहू जाइब ताबड़तोड़ झरिया। रेहवा बिकात नइखे भूखवा सहात नइखे जाईबी संग ...
अरूण शीतांश जी के दू गो कबिता रऊआँ सभ खाती। पहिलकी कबिता गाँव-देहात में सहे वाला के दरद देखावत बा जेकर जिनगी करजा, भूखि औरी परेसानी में ग...