डायरी: नीक-जबून (3) - डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल
7. अनुवाद उहे, जे रच बस जाए एक महीना पहिले एक आदमी एगो प्रश्न पूछि के हमरा के अजीब पेशोपेश में डाल देले रहे। जइसे ‘थैंक्यू’ का प्रतिउत्तर मे...
7. अनुवाद उहे, जे रच बस जाए एक महीना पहिले एक आदमी एगो प्रश्न पूछि के हमरा के अजीब पेशोपेश में डाल देले रहे। जइसे ‘थैंक्यू’ का प्रतिउत्तर मे...
4. जरूरी बा भोजपुरी के स्वाभिमान से जोड़ल ओइसे त बहुत पहिले से संविधान का आठवी अनुसूची में भोजपुरी के डलवावे के माङ भोजपुरिया करत बाड़न बाकिर ...
हमरा बचपन में दूइ गो ज्वाला प्रसाद जी के टीका वाला रामचरितमानस पढ़े के मिलल बा, जवना में लव-कुश कांड त रहबे कइल, छेपको कहानी बहुत पढ़े के मि...
चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह जी के चेहरा बिसरत नइखे। लागता हाले में उहाँसे मिलल रहीं। बहुत उमेदि रहे उहाँ से। अभी बहुत कुछ करेके रहे उहाँके। उम...
1. अब लागऽता कि भोजपुरिहा बुद्धिजीवी एह बात के माने लागल बाड़े कि भोजपुरिहा अपना भाषा का प्रति काफी संकोची होले। एह संकोच का पीछे कवनो विधेया...
कहनिया दुर्गा माई के (भोजपुरी प्रबंध काव्य) श्रीदुर्गा सप्तशती की कथा डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल अभिनव पुस्तकालय पटना...
हर रंग में रंगाइल एगो किताब के भूमिका में रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव ऊर्फ जुगानी भाई लिखले बाड़े कि ‘भाषा आ भोजन के सवाल एक-दोसरा से हमेशा ...