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जगन्नाथ के तीन गो कविता
सांस खातिर सरगम बेगाना भइल - जगन्नाथ
रउरा आँखिन से झर गइल पानी - जगन्नाथ
हवा में गजब के सरूर बाटे - जगन्नाथ
जगन्नाथ जी के दू गो गज़ल
हईं हम त अइसन डहरिया के राही - जगन्नाथ

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