भारी भरम बा - देवेन्द्र कुमार राय
आगे जाईं कि पिछे लखात नइखे, चुपे रहीं कि बोली बुझात नइखे। जमते जमतुआ जुगजितना भइल, हमरा जोडी़ के केहू भेंटात नइखे। जे बइठल बा उहे घवाहिल भइल...
आगे जाईं कि पिछे लखात नइखे, चुपे रहीं कि बोली बुझात नइखे। जमते जमतुआ जुगजितना भइल, हमरा जोडी़ के केहू भेंटात नइखे। जे बइठल बा उहे घवाहिल भइल...
करे खातीर शासन सभे बेंचलसि बिचार, हार होइबे करी। चुटुकी भर पावे खातीर करब जब मार, हार होइबे करी।टेक। बसुधा कुटुम्ब सोंच पुरुखन के रहे, ...
आजु हमरे शहर हमरा से अन्जान लागता जमनी जवना अंगनवा अब उहे मशान लागता पीपरा के पात जस कांपता मन का हम कहीं लोभ में लसराइल आजु सभके पर...
शासन प्रशासन लागल हिन्द के बचावे में, छिपल मुदइया लागल झूठ फैलावे में।टेक। लइका जवान बुढ़ देश के डेराइल बा कोरोना से बचे खातीर घर म...
अजबे भइल बा भाव आजु हमरे शहर हमरा से अन्जान लागता जमनी जवना अंगनवा अब उहे मशान लागता पीपरा के पात जस कांपता मन का हम कहीं लोभ में ...
तलफत भुभुरी सोंच के सोंचे में सकुचातानी कहे में भीतरे डेराइला, रोज अंजुरी में धुंध सहोरले दिल के कठवत में नेहाइला। बेवहार के बागि नोच...
सोंचे में सकुचातानी कहे में भीतरे डेराइला, रोज अंजुरी में धुंध सहोरले दिल के कठवत में नेहाइला। बेवहार के बागि नोचाता फीकीर केहुके हइए नइखे...
पेट काटि दुगो पाई धइनी अब हमहीं भइनी लाचार हर चौकठ लट धुनि के रोईं लुटलसि हमरे चुनल सरकार। टुअर बिटिया कइसे बिहबि सरकारी दरद ई कइसे सहबि त...
आव आव बदरी आव। झूम झूम पानी बरसाव॥ सागर से जल भरि लाव आव बरीस लड्डू पाव, झम झम जब बरसी पानी सजी खेत चुनर से धानी, अब भादो के मति तरसाव। आव...
पानी बदरा के धरती से जसहीं मिलल सुखल माटी के अंचरा फहराए लागल, सोन्ह माटी के गमक गगन में उड़ल तिनका तिनका खुशी में लहराए लागल॥ धरती के मांग...
मन के अंगना में सगरो आन्हार भइल बा सोंच के कुंचा के खरिका खीआ गइल बा। संस्कार सिसिकत ढकचत चले राह में लोर भावना के सगरो सुखा गइल बा। जीनीग...
करीं धरीं चाहे कतनो मरीं ना सोंच के जांगर घुसुकता, दुशासन के शासन में हमार करेजवा रहि रहि सुसुकता। सुघर सोंच बिला गइले समय के अइसन फेरा बा...