मिलन - कौशल मुहब्बतपुरी

आसवाँन तानल समियाना
लागल झालर बदरा के
कतहूँ करिया कतहूँ उज्जर
टाँगल-टूँगल सरिया के।

भोर के झूमर डगरा जइसन
ललकी कीरिन छितरा के
माथ पर आके चमके लागल
सूरुज ई दुपहरिया के।

साँझी के झूमर भइल सेनुरी
मद्धिम टेस किनरिया के
टिमटिम तरेगन टाँकल झिलमिल
बीचे चाँन अंजोरिया के।

बदरा घूमत-घामत निकसल
बरसेला खूबे रतिया के
आसवाँन कहे कहना मानऽ
रोकल रहऽ तू रिसिया के।

धरती सुबहे-साँझे चिल्लाइल
घटलक पानी दरिया के
घास-फूस सब सूखल जाता
उगल कुकुरमुत छतिया के।

प्रेम-प्रीत बा धरा-गगन में
जलन पड़ोसी कहिआ के
चाँन-सुरुज सब भइल दुश्मन
आसमान पर पतिया के।

बनिहें बादर सागर जल से
अउरो बनिहें नदिया से
बदरा तू जे धोखा दिहबऽ
फड़िहें बिजुरी पनिया के।

आसवाँन तन राजा रही
करी प्रीत ऊ रनिया से
बदरा धो के करऽ तू चीकन
सुन्नर धरती धनिया के।
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कौशल मुहब्बतपुरी मैना: भोजपुरी साहित्य कऽ उड़ान
कौशल मुहब्बतपुरी
मुहब्बतपुर
मुजफ्फरपुर, बिहार
मोबाइल: 9934918535

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