
अछूत फूल - सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
गुरदासपुर, अगस्त 1937 मीरा हवा खाए खातिर चलल जात रहे, लेकिन ओकर गरदन निच्चे झुकल रहे, आँखि आधा खुलल रहे। आ ओकर ध्यान अपनी नगिच्चे की चीजुए...
गुरदासपुर, अगस्त 1937 मीरा हवा खाए खातिर चलल जात रहे, लेकिन ओकर गरदन निच्चे झुकल रहे, आँखि आधा खुलल रहे। आ ओकर ध्यान अपनी नगिच्चे की चीजुए...