
इयाद न जाए - मीनाधर पाठक
हमरी इयाद के मोटरी हमेशा लगवे रहेला। जब मन करेला खोल के बोल बतिया लेनी आ फेरु से गठिया के ध देनीं। घर के काम-काज की साथे साथे इहो चलल करेला।...
हमरी इयाद के मोटरी हमेशा लगवे रहेला। जब मन करेला खोल के बोल बतिया लेनी आ फेरु से गठिया के ध देनीं। घर के काम-काज की साथे साथे इहो चलल करेला।...
जब हम लइकई मे चउथी-पाँचवी मे पढ़त रहनी, ओह घरी रेडियो पर संझा के बेरा खेती-किसानी पर एगो प्रोग्राम आवत रहे, जवना के शुरू होते ई सुने के मिले ...
चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह जी के चेहरा बिसरत नइखे। लागता हाले में उहाँसे मिलल रहीं। बहुत उमेदि रहे उहाँ से। अभी बहुत कुछ करेके रहे उहाँके। उम...
बहुत कठिन काम हऽ आपन जन पर संस्मरण लिखल। ऊ काम अउर कठिन हो जाला जब संबंध लगभग चालीस साल पुरान होखे। दूर रहके भी संबंध बनावल राखल आ ओकरा के स...
बेबाक आ दू टूक बात करे वाला रहनी साहित्यकार चैधरी कन्हैया प्रसाद सिंह जी। उहाँ के मंच से बोलत जब सुनलीं तऽ मन में विचार आइल कि साहित्य सृजन ...
बनारस से प्रकाशित ‘भोजपुरी कहानियां’ के संयुक्तांक मई-जून, 1971 में हमार एगो कहानी ‘सगुन ना उठल’ छपल रहे। ओही संदर्भ में चौधरी कन्हैया प्रसा...
सत्य के धरातल ठोस होला, कठोरो होला ऐही से ना तरल जइसन बह जाला, ना आपन स्वभाव अउर स्वरूप जल्दी बदलेला। जीतो सत्य के ही होला ई सबकर अनुभव हऽ। ...
ऊ मई के दूपहरी रहे। हम भोजन करके आराम करत रहीं। अचके गेट खुलला के आवाज सुनिके गेट के ओर तकनी तऽ देखली कि एक आदमी पैन्ट-सर्ट पहिनले, हाथ में ...
'दू सांस ले सकी जहाँ पे इत्मीनान के, चारो तरह निगाह में आवे ना ऊ मुकाम। ढाहेला रोज आदमी जीवन पहाड़ के, बीतल हजार साल, ना खिस्सा भइल तमाम।...
बाबूजी चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह के संस्मरण लिखे बइठनी तऽ दिमाग में बचपन से लेके बाबूजी के निधन तक के स्मृति आँखी का आगा नाच उठल बाकिर शुरुआ...
हमार बाउजी जब अपना लइकाईं के बात बताइब त मन बहुत परसन्न हो जात रहे I लागे हँसी के फुलझड़ी छूटे। हँसत-हँसत त पेट बथे लागे। ओहि बतियन में से एह...
उ लचार ईया जे, पिछला सोरह महीना से खाली हमरा आ हमरा मलकिन प निर्भर रहली! सोरह महिना पहिले जब हम परिवार के संघे 15-20 दिन खातिर गॉव घू...
पोसल सुग्गा उड़ जायेला त केतना दुःख होखेला।हमहुँ एगो छोट लड़की मोती-माला के रख के समझ गईनी। बेटा जब छोट रहल त हम घर में कहनी एगो आठ दस बरीस ...
बिहू, उगाडी, बैशाखी, गुड़ी पड़वा, चइता भा चैत्र नवरात्री। देखल जाव त ई सभ परब सनातन संस्कृति कऽ साल कऽ पहिला महीना हऽ। सनातन संस्कृति के इहे...