
गजर-बजर - मदनमोहन पाण्डेय
आँखिन में बाढ़ि मन में अन बुझल पियासि बा, धरती बिछावन बा, ओढ़ना आकाश बा॥ डेग-डेग गड़हा बा,बिछली आ काई, एक ओर बा पहाड़ दुसराओर खाई। बरखा बा ,बि...
आँखिन में बाढ़ि मन में अन बुझल पियासि बा, धरती बिछावन बा, ओढ़ना आकाश बा॥ डेग-डेग गड़हा बा,बिछली आ काई, एक ओर बा पहाड़ दुसराओर खाई। बरखा बा ,बि...