लईकन के फैशन - कुंज बिहारी 'कुंजन'

जहिया से अंखियन के दुनो बौल हो गइल फ्यूज।
रास्ता चलत जपत चलीला प्लीज प्लीज एक्सक्यूज॥

प्लीज प्लीज एक्सक्यूज करत बस में चढ़नी अकुता के।
तब ले एक ठे बिटिया घुसल हमरा के धकिया के॥

चिकन-चिकन गाल छिट के लाल- लाल पहनावा।
बड़ा जोर धकिआवे एक त चले ना तनिको हावा॥

कहनी बाची होने जा खाली बा सिट जनाना।
कहाँ धसोरत अईबू हेने कुल बाडन मरदाना॥

सुन के आंख तरेरलस पिछवा मुड़ के बघुआइयल।
अपना जाने गरजल बाकि बकरी अस मिमिआइल॥

कहलस बुढा आफ हुआ माइंड है।
लईका को लईकी बुझता पूरा का ब्लाइंड है॥
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लेखक परिचय:-
नाम: कुंज बिहारी 'कुंजन'
जनम: 20 जनवरी 1920
निधन: 16 जून 1985
जनम थान: गढ़नोखा, रोहतास, बिहार

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