
भावेश अंजन के तीन गो कविता
पानी के पियासि पानीये बुझावेला पा के पानी के पानी जवान हो गइल। सुखत जिनगी के पुरा अरमान हो गइल॥ झउसत रहे धरती अबे हरिअराइल पपनी के पानी ...
पानी के पियासि पानीये बुझावेला पा के पानी के पानी जवान हो गइल। सुखत जिनगी के पुरा अरमान हो गइल॥ झउसत रहे धरती अबे हरिअराइल पपनी के पानी ...
कइसे भुलाईं, तहार इयादि आवत बा। उ पीछे-पीछे धावल उ पराती भी गावल केतनो महटियाईं, मनवा के लुभावत बा। उ दुध-भात कटोरा उ कन्हइया - कोरा ...
जवन पानी से पानी-पानी हो गइल बा बहुत बरिस पर आइल पानी बहत बा बहे दीं हर-हर के आवाज लगावत गंगा-गंगा कहे दीं मन मसोस, मोबाइल रोवत बार-बार ऊ ...
पा के पानी के पानी जवान हो गइल। सुखत जिनगी के पुरा अरमान हो गइल॥ झउसत रहे धरती अबे हरिअराइल पपनी के पानी जस जाता बढ़िआइल आजु बदरा बा आपन म...