
तजो वनवारी
शुभ कातिक सिर विचारी, तजो वनवारी। जेठ मास तन तप्त अंग भावे नहीं सारी, तजो वनवारी। बाढ़े विरह अषाढ़ देत अद्रा झंकारी, तजो वनवारी। सावन सेज ...
शुभ कातिक सिर विचारी, तजो वनवारी। जेठ मास तन तप्त अंग भावे नहीं सारी, तजो वनवारी। बाढ़े विरह अषाढ़ देत अद्रा झंकारी, तजो वनवारी। सावन सेज ...
प्रथम मास असाढि सखि हो, गरज गरज के सुनाय। सामी के अईसन कठिन जियरा, मास असाढ नहि आय॥ सावन रिमझिम बुनवा बरिसे, पियवा भिजेला परदेस। पिया पिय...