जाए के आई खबरिया - अब्दुर्रहमान गेहूँवासागरी

जाए के, आई कब खबरिया केहू ! जाने ना।
रसे-रसे बीते ले उमिरिया, केहू। जाने ना।

धनवा के चाहे केहू,
गहनवा के चाहे केहू,
छिनि जाई अँगुरी कऽ मुनरिया, केहू । जाने ना।
जाए के आई कब खबरिया ? केहू ! जाने ना।

गजरा रचावे केहू,
कजरा रचावे केहू,
टंगि जाई, आँखी कऽ पुतरिया, केहू ! जाने ना।
जाए के आई कब खबरिया ? केहू ! जाने ना।

हाट बाजार घूमैं,
केहू संसार घूमैं,
कहाँ ? कब ? भटके ले डगरिया, केहू। जाने ना।
जाए के आई कब खबरिया ? केहू जाने ना।

नीत राजनीति बूझै
केहू आपन प्रीत बूझै
कब बही, कइसन बयरिया ? केहू ! जाने ना।
जाए के आई कब खबरिया ? केहू जाने ना।

मान, सम्मान जानै
केहू स्वाभिमान जानै
माटी के चोला, ई चुनरिया, केहू ! जाने ना।
जाए के आई कब खबरिया ? केहू ! जाने ना।
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भोजपुरी कविता साहित्य निरगुन मैना पत्रिका

अब्दुर्रहमान गेहूँवासागरी

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