
एक मुठी सरसो बनाम भोजपुरिया - केशव मोहन पाण्डेय
गदराइल गेहूँ के खेत में, भा मसुरी-मटर के अगरात फूलवन के बीचे बा ऊँखि के जामत पुआड़ी के पोंछ पकड़ले भा अकेलहूँ अपना हरिहर देहिं पर पीअर अँचरा ल...
गदराइल गेहूँ के खेत में, भा मसुरी-मटर के अगरात फूलवन के बीचे बा ऊँखि के जामत पुआड़ी के पोंछ पकड़ले भा अकेलहूँ अपना हरिहर देहिं पर पीअर अँचरा ल...
पानी अँखिया के मरल, बदलल जग के रीत। लंपट ठाढ़ बुलंदी पर, पनिहर बा भयभीत॥1 ॥ बनि जाले जिनगी सहज, सुखदाई के इत्र। मिलले अगर सुभाग से, एको मनगर ...
भाषा के दिसाईं देखल जाव तऽ भोजपुरी राजनैतिक रूप से खाली धोखा आ असरा धरवला के भाषा रहल बा। अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक आ राजनैतिक अगुआ भोजपुरी...
उमेद बा कि दुनिया बदली जरूर देखीं जुग राम के रावण के कन्हैया के चाणक्य-चंद्रगुप्त के अशोक के उनका भैया के का भइल? बदलिए नु गइल? चा...
हर रंग में रंगाइल एगो किताब के भूमिका में रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव ऊर्फ जुगानी भाई लिखले बाड़े कि ‘भाषा आ भोजन के सवाल एक-दोसरा से हमेशा ...
गाभी कबहूँ ना करे, नाही देला घाव। अइसन मनई के सदा, सूखलो चले नाव।। करकरात बा सब जगह, सूरदास के घीव। जबसे लागल बा हिले, सहे के पुख्ता नींव।...
फुदुक चहके ले गौरैया, हो रामा, मोरा अँगनइया। अगराइल मन ले बलैया, हो रामा, मोरा अँगनइया। पुहुप उगे नया पीपरा के डाढ़ी, अनरा पर तने लागल फ...
महंथ जेतने सीधवा हवें ओतने ईमानदारो हवें। दगाबाजी से कई कोस दूर रहेलन बाकीर करीको करेजा के लोग से साधुए नीयर बतीआवेलन। ऊ सोचेलन कि सभे अपन...
तहके चाही ले हमहूँ गुमान केऽ तरे। बसल बाड़ू हिया में परान केऽ तरे॥ आँख लागे तऽ सोंझा सुरतिया तहार गाद कपूरी के लागेला बतिया तहार रूप तहरा म...
हमरा असरा के पथरा मत गलाव पिया घरे चलि आव पिया ना। घेरेऽ बदरा घनघोर, काँपे गतरे-गतर मोर आके नेहिया के रजइया ओढ़ाव पिया घरे चलि आव पिया ना। ...
हमहूँ तऽ तहरे पर लुभा गइनी बेली जस फूलाऽ गइनी अपना के भुलाऽ गइनी हो ए साँवरोऽ चाँन-सुरूज जइसन अँखिया से हम भकुआऽ गइनी हो। बतिया तहार जइसे ...
सबसे उपजाऊँ सबसे सयगर टोला के उत्तर गंडक के कछार में दूर-दूर ले विस्तारित बा वृत्त वाला खेत के चौकस लहलहात स्वरुप। सभे मन से जुट जाला एके ...
कहीं होत होई नादानी बाकिर हमरा गाँवे तऽ इनरा के पानी सभे पीये सबके असरा पुरावे इनरा तबो मरि गइल ईऽ परमार्थ के पुरस्कार काऽ भइल? समय के साथ...
अचके में आके मुआवेलू हमके। तू ही गमवा देलू, दवा देलू गम के। चमक बा वदन पर, बदन बाटे पातर अँखिया बा भन्टा, बा मुँहवा टमाटर फरिहरी लागल बा, ...
आज मोर असरा पुराईं हे माई, दरस देखाईं।। वीनवा के तनवा से शनवा बढ़ा दीं हमरी ओरीआ नजरिया घुमा दीं कबो मत मनवा बढ़ाई हे माई, दरस देखाईं।। अमल-...