
भरसटाचार - प्रभुनाथ उपाध्याय
कइसे खतम होई देशवा से भरसटाचार खतम होई कइसे सुविधा सुलूक आचार॥ सब लोग कहत बाड़े मुहँवा से उपर नाही परियास पर हिरदय के भीतर। माई खाती करीहे...
कइसे खतम होई देशवा से भरसटाचार खतम होई कइसे सुविधा सुलूक आचार॥ सब लोग कहत बाड़े मुहँवा से उपर नाही परियास पर हिरदय के भीतर। माई खाती करीहे...
भारत के राजनीति राजनीति देश औरी समाज खाती बहुत जरूरी बा पर एकरा भईला कऽ फायदा तबे बा जब देश कऽ सामाजिक, शैक्षणिक, औरी आर्थिक विकास ...
सब लोग देहात से जात बाड़े शहर। हर केहू पकड़ले बाऽ एगही डहर॥ गँउआँ में नाही केहू रहे चाहत सब केहू बतिया एगही कहत। एही से गाँवन में भइल बाटे ...
साहित्य भेद-भाव करे वाला ना होला औरी नाही भेद-भाव करे वाला होखे चाहीं। ऊ तऽ अदिमी होला जे भेद-भाव करेला। जदि साहित्य भेद-भाव करत नजर आवे...
बिकास औरी भूमंडलीकरन के ए जुग में गाँव बहुत पीछे छूटत जात बा। कुछ दसेक साल पहिले जेवन महता गाँव के रहे ऊ आज कहीं लऊकत नईखे। बिकास के ए भ...
मैना के अंक हर मंगर के परकासित होला लेकिन ए बेरी देर हो गईल बा औरी शुक के परकासित होता। ए देरी खाती सभ से पहिले रऊआँ सभ से हाथ जोड़ के छि...
सभ्यता के बिकास के संगे बहुत कुछ होला; कुछ निमन होला तऽ कुछ बाऊर। कुछ अईसने भईल बा ए आधुनिक सभ्यता के बिकास के आपा-धापी में जेवना के क...
"सूर नर मुनि की यही सब रीती। स्वारथ लागि करै सब प्रीती॥" तुलसीदास जी मानस में एक दम सही औरी हमेसा सही रहे वाली बात कहले ...
बीतल 14 अप्रैल के बाबा साहेब अंबेडकर के जनम दिन रहे। ई देस के भाग रहल बा कि अईसन बड़हन मनई कबो ए देस के माटी के सेवा कईले बा। लेकिन संङही...
कुछ लोग अइसन होला जिनकरा के हमेसा ही महसुस कइल जा सकेला। चाँहे ऊ आस-पास होखस चाँहे ना। हर आदमी के जिनगी में एकाध लोग अइसन मिल जालें। ठीक...
प्रभुनाथ उपाध्याय जी जिनिगी औरी समाज पर आपन कलम चलावे नी। उँहा के एगो कविता रउआँ सभे खाती. ---------------------------------- ई दे...