
फेनुस - रामनाथ राजेश
ओह दिन गबुदना एक दम गेना लेखा उछलत आइल रहे. असहूं ऊ हमेशा बत्तीसी देखाइएके बोलेला. हम ओकरा के कब से जानतानी ठीक से नइखीं कह सकत. भंइसी क...
ओह दिन गबुदना एक दम गेना लेखा उछलत आइल रहे. असहूं ऊ हमेशा बत्तीसी देखाइएके बोलेला. हम ओकरा के कब से जानतानी ठीक से नइखीं कह सकत. भंइसी क...