माई
सिलबट्टा पर
मरिचा, नून आ लहसुन के
चटनी पिसत
समुझवली-
बाबू हो!
अलग-अलग बा ए तीनू के स्वाद,
आपन रूप, आपन रंग,
आपन गुन, आपन बुनियाद।
खाली मरिचा खा- हर हर माहुर,
खाली नून खा- जीभिए जरा दी,
खाली लहसुन- अपनी गंध से बेइज्जत करा दी।
कवनो एगो के
अकेले
एगो सीमा से जिआदे खा नइखS सकत।
खा लS
त पचा नइखS सकत।
लेकिन-
तीनू एक में मिलि के
अलगे
आ
अजबे स्वाद बना देलें।
एतना चटकार
कि
एक रोटी जिआदे खा लिहल जा।
अइसहीं-
तीत, मीठ, नमकीन, खटाह, कसइला
सब सम्बन्धन के
मिलवले रहिहS,
जोगवले रहिहS।
सम्बन्धन में अजबे स्वाद होला,
बेस्वाद जिनिगी में स्वाद भरेवाला।
तन मन में उमंग भरेवाला।
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प्रधान सम्पादक, सिरिजन, भोजपुरी पत्रिका।
मुसेहरी बाजार, गोपालगंज, बिहार।
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