विद्या शंकर विद्यार्थी के मुक्तक
(1) जब प्रेम के इजहार चले लागल तब नेह के सनसार चले लागल आदत जरे ओला के ढह गइल नदी में नाव के सवार चले लागल। ----------------- (2) एह बसंत के...
(1) जब प्रेम के इजहार चले लागल तब नेह के सनसार चले लागल आदत जरे ओला के ढह गइल नदी में नाव के सवार चले लागल। ----------------- (2) एह बसंत के...
कुकुरन के बारात कुकुरन के बारात लेअइलऽ समधी तूँ सधुअइलऽ जूता पर नजर इहनिन के घाउंज तूँ करवइलऽ। कमे कुकुर बाड़न सन ई जवन टांग ना टारसन जगहा क...
रामजी आउर केहू ना हमरा गाँव में के एगो आदमी के नाम ह। आ ई रामजी केहू के जरताह आंँखीं से कबो ना ताकस। खेतिहर आदमी हवन।बधार के चारों सिवान में...
शीश झूके पाँव माई लेके तोहार नाव माई ममता से दूजा का बाटे सरधा से पूजा का बाटे चलत रहे बनाव माई लेके तोहार नाव माई । जेकर बाडी़ दुर्गा मा...
समय के चोट सुनले बानी, हम। कि देहात में जब कवनो मेहरारू के मरद के मन हो जाए त ई बात कह के ओह अबला बेचारी थूरे लागत रहे कि साग में हरदी काहे ...
बाटे कठवतिया में पनिया जी, चरनिया ना काहे नाथ धोआईंला कहत नइखीं कुछउ बचनिया जी, बोलीं ना नाथ काहे मुसुकाईंला....। केहू गरिया...
जीए के इहे आधार बाटे, रोजी इहे रोजगार बाटे हे दीनानाथ दया कर दीं, नइया आइल मझधार बाटे रोजे देखलीं रोजे पानी, सोचे के भइल आज हैरानी ...
बैन आवे ना चैन आवे, मनवा जानी अकुताइल बा कवन राजा के सोहाइल ना, बेशी ई हुक धराइल बा ...। पत्थल के कइसन जीव माई के दम लिहली ...
दीयट ना दीया बाटे, दीयट ना किया बाटे आहे आहे दीनानाथ, कवनी ना रजवा के सोहाइल ए राम...। हीरा अइसन बेटा बाड़े, बेटा में बड़ बेटा ब...
भरत भाई हवऽ माई के लपेटऽ मत सुनऽ संग में मंथरो के समेटऽ मत देबी सुरसति के चाह कुछ आउर बा ना केहू दोषी बा ना केहू हो बाऊर बा मा...
भइया लवट चलऽ लोग हमरा के दोषी मानऽ भइया माई के हठ ना अफसोसी मंथरा के बात लेके उठेके उठ गइल माई ओकर बात हटावऽ हम त हईं छोट भाई ...
राजके बात राजे रहे दिहीं राजके बात दयानिधि मानीं माईके केहू कठोर कही त माईके रही ना पानी ई मानीं खाये के कहाँ अघाये के रहल पूरे भइ...
भोर होते लाली लउकल आउर जनाइल आवत लोग मन शंका होखे लागल कहँवा हफनाइल आवत लोग माथे पगरी कान्हे गमछी बा केहू के हाथे लाठी बा बड़ बा...
जात बाड़े सिरी रघुनंदन गाँव त्याग के जात बाड़े हृदय हृदय ना दरकल हृदय से लाग के जात बाड़े बीच में सीता बाड़ी सुनैनी सह ना घाम पावत...
तप कहल जाई तोहार कि आत्मा के आत्मग्लानि कहऽ उर्मिला अपने सबद में आपन कुछ कहानी राम के साथ लखन वन गइले हित तिकले भाई के ना अइसन ...
दाव दाव के बात ह घात एकरा के मानेलु सता छिनाइल जनलु त हमरा के पहचानेलु हमरा बेटा के राज मिलल तिकताड़ु तिकऽ समय समय के बात हउए हिकत...
का कइलु ए बहिन तूँ का कइलु कवन आग घर में तूँ लगा गइलु मांगे के रहे राज बेटाके मांग लेतू दूगो रोटी ना दिहतू पेट दाग देतू हमरा ...
बिना आग के डाढ़ा फेरलस लगाई देलस अगिया बिना आग के अगिया जराई देलस अगिया... । मंथरा के बुधिया लहकाई घर दिहलस मतिया कुमतिया उपजाई ...
जौन बिलाय तिअन चिखलस दूध जुठरलस अलग तौने बिख बोअले बिया आ भाइन के कइलस अलग। परथन लागल ना आटा ओकर आटा कइलस गील जे ना खाइल अध पाक...
चलऽ ए बबुआ चलऽ भरत चलऽ आ राम से बोलऽ मनी बिन फनी जिही कइसे हमनी के काम से बोलऽ पिता के पुत मनी होलन आ होलन गरब के सपूत तुहीं सोचऽ...