
सोच - ओशिन शिशिर "रफेल"
वाह री गुलजारो ! तोहार बेटा डागदर का बन गइल, तु त चांदी काटे लगलू । आउर सहर तोहार भेस-भूसा ,पहनावा बदल देहले बा। बाकि नइखे बदलल त तोहार इ...
वाह री गुलजारो ! तोहार बेटा डागदर का बन गइल, तु त चांदी काटे लगलू । आउर सहर तोहार भेस-भूसा ,पहनावा बदल देहले बा। बाकि नइखे बदलल त तोहार इ...