चढ़ल उतर गइल - डॉ. हरेश्वर राय
हमार बाउजी जब अपना लइकाईं के बात बताइब त मन बहुत परसन्न हो जात रहे I लागे हँसी के फुलझड़ी छूटे। हँसत-हँसत त पेट बथे लागे। ओहि बतियन में से एह...
हमार बाउजी जब अपना लइकाईं के बात बताइब त मन बहुत परसन्न हो जात रहे I लागे हँसी के फुलझड़ी छूटे। हँसत-हँसत त पेट बथे लागे। ओहि बतियन में से एह...
रोवतारे बाबू माई पुका फारि फारी, बए क के कीन लेहलस पपुआ सफारी। साल भर के खरची बरची कहवाँ से आई, चाउर चबेनी के कइसे कुटा...
उ घर घर ना ह जवना प कवनों छानी ना होखे उ नैन कइसन जवना में कवनों पानी ना होखे। दाम्पत्य के देवाला निकले में इचिको देर ना लागे त...
गहरान हमरा क्षोभ के अथाह हो गइल सगी हमरी सरौती कटाह हो गइल। गाँव से उजड़नी शहर में भूलइनी हमरा दरद के कठौती कड़ाह हो गइल। हमार...
तनिका घुंघटा हटा दीं गज़ल लिख दीं रउरा मुखड़ा के नाँव नीलकमल लिख दीं। मुस्कुरा दीं तनिक अध खिलल कली अस त एह अदा के नाँव ताजमहल लिख द...
अबकी के फागुन में, इ कइसन हवा चल गइल मछरी के मिलल रेत, तितली के पाँख जल गइल। अनगुत डरल सहमल, दिन औंघाइल अस साँझ के सुहानापन, कंदील...
सपना देखनीं भोरहरिया आइ हो दादा, मुखिया हो गइल मोर मेहरिया आइ हो दादा। हमरा दुअरा उमड़ रहल बा सउँसे गाँव जवार, लाग रहल बा ...
आइ हो दादा सपना देखनीं भोरहरिया आइ हो दादा, मुखिया हो गइल मोर मेहरिया आइ हो दादा। हमरा दुअरा उमड़ रहल बा सउँसे गाँव जवार, ...
कमाइ दिहलस पपुआ पढ़ि लिखि के का कइल भईया पढ़वईया, कमाइ दिहलस पपुआ खाँचा भर रुपईया। मंत्री बिधायकजी के खास भइल बड़ुए, गऊआँ के लफुअन के बॉस ...
रचना: बाबू वीर कुँवर सिंह जीवन काल: (1777– 26 अप्रैल 1858) विधा: जीवनगाथा लेखक: डॉ हरेश्वर राय स्वर: डॉ हरेश्वर राय
आँखिन के अम्बर में, बाझ मेड़राता। छातिन के धरती प, रेगनी फुलाता॥ गऊआं के पाकड़ प, बइठल बा गीध। मुसकिल मनावल बा, होली आ ईद॥ खेतन में एह साल, ...
पढ़ि लिखि के का कइल भईया पढ़वईया, कमाइ दिहलस पपुआ खाँचा भर रुपईया। मंत्री बिधायकजी के खास भइल बड़ुए, गऊआँ के लफुअन के बॉस भइल बड़ुए, आ मुखियाज...
आँख में रात बहुते सयान हो गइल हमार असरे में जिनिगी जिआन हो गइल। दिल के दरिया में दर्दे के पानी रहल देंह जइसे कि भुतहा मकान हो गइल। आस के...
हमरा का हो गइल बा बुझात नइखे हीत गीत मीत कुछुओ सोहात नइखे। हम त दउरत रहिला फिफिहिया बनल हमरा जतरा के रहिया ओरात नइखे। हमके एक-एक मिनटवा पह...
थीर पानी में ढेला उछाले चलीं कोना-सानी से जाला निकाले चलीं। लिके - लीक कबहूँ सपूत ना चलस राह सुन्दर बनाईं ऊँचा ले चलीं। जदी अंगुरी अंगार स...