
धरनीदास
अमृत नीक कहै सब कोई अमृत नीक कहै सब कोई, पीय बिना अमर नहिं होई। कोई कहै अमृत बसै पताल, नर्क अंत नित ग्रासै काल। कोई कहै अमृत समुंदर माहि...
अमृत नीक कहै सब कोई अमृत नीक कहै सब कोई, पीय बिना अमर नहिं होई। कोई कहै अमृत बसै पताल, नर्क अंत नित ग्रासै काल। कोई कहै अमृत समुंदर माहि...
अमृत नीक कहै सब कोई, पीय बिना अमर नहिं होई। कोई कहै अमृत बसै पताल, नर्क अंत नित ग्रासै काल। कोई कहै अमृत समुंदर माहिं, बड़वाअगिन क्यों सोख...
मन तुम कसन करहु रजपूती। गगन नगारा बाजु गहागहि, काहे रहो तुम सूती। पांच पचीस तीन दल ठाढ़ो, इन सँग सैन बहूती। अब तोहि घेरी मारन चाहत, जब पिं...
मैं निरगुनिया गुन नहिं जाना। एक धनी के हाथ बिकाना। सोइ प्रभु पक्का मैं अति कच्चा। मैं झूठा मेरा साहब सच्चा। मैं ओछा मेरा साहब पूरा। मैं का...
हरिजन बा मद के मतवारे। जो मद बिना काठि बिनु भाठी, बिनु अगिनिहि उदगारे। वास अकास घराघर भीतर, बूंद झरै झलकारे। चमकत चंद अनंद बढ़े जिव, सब...
राम बिन भाव करम नहिं छूटै। साथ संग औ राम भजन बिन, काल निरंतर लूटै। मल सेती जो मलको धोवै, सो मल कैसे छूटै। प्रेम का साबुन नाम का पानी, दीय ...
अजहूँ मिलो मेरे प्रान पियारे। दीन दयाल कृपाल कृपानिधि करहु छिमा अपराध हमारे। कल न परत अति बिकल सकल तन, नैन सकल जनु बहत पनारे। मांस पचो ...
बहुत दिनन पिय बसल बिदेसा। आजु सुनल निज अवन संदेसा। चित चिवसरिया मैं लिहलों लिखाई। हृदय कमल धइलों दियना लेसाई। प्रेम पलँग तहँ धइलों बिछ...
पिय बड़ सुन्दर सखि पिय बड़ सुन्दर सखि बनि गैला सहज सनेह ।। टेक।। जे जे सुन्दरी देखन आवै, ताकर हरि ले ज्ञान। तीन भुवन कै रूप तुलै नहिं, ...
धरनीदास जी संत परमपरा क भोजपुरी क निरगुन कबी हवीं। रउआँ सभ खाती उहाँ के तीन गो गेय पद परस्तुत बा। एतना बड़ संत के बारे में कुछु कहल सुर...
ई धरती, आज हमनी के जहाँ के रहबासी बानी जा; ऊ समाज औरी संस्कृति जेवन हमनी कऽ खून में दउरत औरी दहकत बा उ सभ हमनी कऽ पुरखन कऽ मेहनत कऽ परत...
जहिया भइल गुरु उपदेस। अंग-अंग कै मिटल कलेस ।।1।। सुनत सजग भयो जीव। जनु अगिनि परै घीव ।।2।। घर उपजल प्रभु प्रेम। छुटिगे तब ब्...