
नया दिन आवत बा - रामदेव द्विवेदी ‘अलमस्त’
नया दिन आवत बा देख दुनिया बदलत जाता नया दिन आवत बा॥ निसिभेद रात गइल फरिछ बिहान भइल हँसत किरिनियाँ भोरे सोनवाँ लुटावत...
नया दिन आवत बा देख दुनिया बदलत जाता नया दिन आवत बा॥ निसिभेद रात गइल फरिछ बिहान भइल हँसत किरिनियाँ भोरे सोनवाँ लुटावत...
बगुला भगत चलले बकुलत सिकार खेले भारी ‘अब त मछरियो ना भाखन कहनी हमारी’। ऊँचे तखत पर आसन जमवले पाँख लागल मात करे चमकत कटारी॥ च...