
नेता काका - प्रभाकर पांडेय
नेता काका, भले हमरे काका हउअन पर उनकर असली नाव हमरो पता नइखेे। एकर कारन बा की हम जबसे होस संभरले बानी गाँव-जवार, हित-नात सब केहू की मुहें...
नेता काका, भले हमरे काका हउअन पर उनकर असली नाव हमरो पता नइखेे। एकर कारन बा की हम जबसे होस संभरले बानी गाँव-जवार, हित-नात सब केहू की मुहें...
ऊँखियाड़ी में से एक बोझा गेड़ ले के लवटल रहनी तवले कहीं से रमेसरी काकी मिल गइली। हमके देखते कहतारी, 'ए बाबू तूँ तऽ फगुआ में कबो घरे न...
रातिभर दुनु परानी सुति ना पउवींजा। करवट बदलत अउर एन्ने-ओन्ने के बाति करत कब बिहान हो गउए पते ना चलुवे। सबेरे उठते मलिकाइन चाय बना के ले उअ...
कल्हिए रमेसर काका एगो टाली के परची दे गइल रहुअन। ऊँखी छिलवावे के रहुए एसे आजु सबेरवें ऊँखी छिलवावे खातिर पूरा गाँव की लोग के चला के हमहुँ ...
मुन्नर बाबा कवनो जयोतिसी ना हउअन ना कथा बाँचेवाला पंडित। मुन्नर बाबा तS एगो साधारण गँवई हउअन। उनकी लगे दु-चारी कठा खेत बा। बस ओही में अझुर...
तिजहरियवाँ छाँटी काटत रहनी तवले कहीं माई घर में से हाँक लगावत निकललि, "ए मझिलू! ए मझिलू! काहाँ बाड़S हो? अरे तनि लवना-ओवना के इंतिजाम...
भारत! बिबिधता से भरल एगो देस पर विविधता में एकता एकर पहिचान। ई बिबिधता ए के विसिस्टता से अबिभूत करेला, एकरी पारंपरिकता के दरसावेला, ए के ...
रमेसर काका की सिधाई की चलते उनकी घर-परिवार के लोग उनके खोबसत रहेला। रमेसरो काका एतना सीधा, सोझबक हउअन की का कहल जाव। जब उ कवनो सीधाई काम...
माई की अँचरा के छाँव हS, सबसे नीमन हमार गाँव हS, जहाँ गाइ, बछड़ू के दूध पियावे, प्रेम से ओके चूमे-चाटे, पुरनियन की सनेह के छाँव हS, ...