
आसरा के दीयरी - डा. गोरख प्रसाद मस्ताना
आधी आधी रतिया के अइतऽ नेहिया के दीयरी जरइतऽ दुखवा हमार पतीअइतऽ, हो मीतवा मीतवा हमार हो, हमार हो मीतवा मनवा हमार बसे तोहरी चरन में हमरा के ...
आधी आधी रतिया के अइतऽ नेहिया के दीयरी जरइतऽ दुखवा हमार पतीअइतऽ, हो मीतवा मीतवा हमार हो, हमार हो मीतवा मनवा हमार बसे तोहरी चरन में हमरा के ...
सोलह बरीस हवे जादू या टोना तन होला चानी चानी मन होला सोना हियवा के हलचल नजरिये बतादी नजरीया के छलबल पुतरिये बतादी। नैन के मैना फुदुक फुदुक...
माटी माटी खेल भइया सज्जी दुनिया माटी हऽ अदमी के जिनगी बस बुझऽ घास फूस के टाटी हऽ। राजमहल के बाटे जे उ अउरी बा हउआइल घीव दूध में डूबकी लेके...
केहू से हम तीत मीठ बतीयाई काहे बिना कान से सुनले किछु पतियाई काहे झूठ साँच के खेल हवे आगी जइसन बेमतलब के आपन हाथ जराई काहे के, बा जे नीकन ...
सबले सहज उपाय बा एगो दूर होई बेमारी छोड़ छाड़ के चिंता सज्जी कर लीं बरतुहारी शादी ठीक करावत फिरी घर में डाल के ताला पाँच गाँव में नाम हो जाई...
रऊआँ सभ के सोझा आज डॉ गोरख प्रसाद मस्ताना जी के लघुकथा 'लगाव' पेस करत बानी। ई एगो छोटी मुकी कहानी बे। आँखि बन क लिहल जाओ तऽ ए ...
रऊआँ सभ खाती डा. गोरख प्रसाद मस्ताना जी पाँच गो गीत परस्तुत बा। पाँचों गीत अलगा-अलगा ढंग के बाड़ी सऽ लेकिन घुम-फिर के जिनगी के साँच बतावत...