
तोरे बदे - तेग अली-तेग
हम खर मिटाव कैली हा रहिला चबाय के भेंवल धरल बा दुध मे खाजा तोरे बदे॥ अपने के लोई लेहली है कमरी भी बा धइल किनली ह रजा , लाल दुसाला तो...
हम खर मिटाव कैली हा रहिला चबाय के भेंवल धरल बा दुध मे खाजा तोरे बदे॥ अपने के लोई लेहली है कमरी भी बा धइल किनली ह रजा , लाल दुसाला तो...
केहु से बाट रजा तु सटल सुनत बाटी ई काम करत नाही निक हम कहत बाटी॥ सहर मे बाग मे उसर मे बन मे धरती प तूँ देखले हौअ बंडर मतिन फिर...
केहु से बाट रजा तु सटल सुनत बाटी ई काम करत नाही निक हम कहत बाटी॥ सहर मे बाग मे उसर मे बन मे धरती प तूँ देखले हौअ बंडर मतिन फिरत बाटी॥ ...
सुरमा आँखी में नाहीं ई तू छुलावत बाटऽ। बाढ दूतर्फी बिछूआ पै चढ़ावत बाटऽ।। अत्तर देही में नाहीं तू ई लगावत बाटऽ।। जहर के पानी में तेरुआर...
तेग अली जी के बारे मे हमरा डा. कृष्णदेव उपधिया जी के लिखल किताब मे कुछ पढे के मिलल रहे। इँहा के "बदमास दर्पण" किताब भी छपाईल बिआ...