
चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह: एगो प्रेरणा, एगो मार्गदर्शक - राजेश भोजपुरिया
'दू सांस ले सकी जहाँ पे इत्मीनान के, चारो तरह निगाह में आवे ना ऊ मुकाम। ढाहेला रोज आदमी जीवन पहाड़ के, बीतल हजार साल, ना खिस्सा भइल तमाम।...
'दू सांस ले सकी जहाँ पे इत्मीनान के, चारो तरह निगाह में आवे ना ऊ मुकाम। ढाहेला रोज आदमी जीवन पहाड़ के, बीतल हजार साल, ना खिस्सा भइल तमाम।...