जतरा - रामपति रसिया

काहें अइसन होला बाबा देखीं तनी पतराऽ
काहें अइसन होला बाबा देखीं तनी पतराऽ।

धोबिया से लोटा-थारी केहू ना छुआवे,
कहिके अछोप सजी लोग निहिसावे।
बाकी मुँह देखि वोकर बनि जाला जतरा,
काहें अइसन होला बाबा देखीं तनी पतरा।

गदहा के छुअले पातक लागि जाला,
शुद्ध होखे खातिर तन पर पानी छिरिकाला।
बाकी बोली सुनि वोकर बनि जाला जतरा,
काहें अइसन होला बाबा देखीं तनी पतरा।

छोटे-बड़े सभे तेल तेलिया के खाला,
तनिकों ना भेद कवनों कोन से बुझाला।
बाकी मुँह देखि वोकर बिगड़ेला जतरा,
काहें अइसन होला बाबा देखीं तनी पतरा।

जिनिगी में भेद भाव अधरे के बाटे,
आदिमी आदिमिये में नीच-ऊँच छाँटे।
बाकी लाश देखि वोकर बनि जाला जतरा,
काहें अइसन होला बाबा देखीं तनी पतरा।
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रामपति रसिया


मपति रसिया

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