
अब नाहीं - गोरख पाण्डेय
गुलमिया अब हम नाही बजइबो, अजदिया हमरा के भावेले। झीनी-झीनी बीनीं, चदरिया लहरेले तोहरे कान्हे जब हम तन के परदा माँगी आवे सिपहिया...
गुलमिया अब हम नाही बजइबो, अजदिया हमरा के भावेले। झीनी-झीनी बीनीं, चदरिया लहरेले तोहरे कान्हे जब हम तन के परदा माँगी आवे सिपहिया...
पहिले-पहिल जब वोट मांगे अइले तोहके खेतवा दिअइबो ओमें फसली उगइबो। बजडा के रोटिया देई-देई नुनवा सोचलीं कि अब त बदली कनुनवा। अब जमी...
बीतऽता अन्हरिया के जमनवा हो संघतिया सबके जगा द गंउवा जगा द आ सहरवा जगा द छतिया में भरल अंगरवा जगा द जइसे जरे पाप के खनवा हो संघतिय...
समाजवाद बबुआ, धीरे-धीरे आई समाजवाद उनके धीरे-धीरे आई हाथी से आई, घोड़ा से आई अँगरेजी बाजा बजाई, समाजवाद... नोटवा से आई, बोटवा...
तूँ हवऽ श्रम के सुरुजवा हो, हम किरिनिया तोहार तोहरा से भगली बन्हनवा के रतिया हमरा से हरियर भइली धरतिया तूँ हवऽ जग के परनवा हो, हम ...
सुरु बा किसान के लड़इया चल तूहूँ लड़े बदे भइया। कब तक सुतब, मूँदि के नयनवा कब तक ढोवब सुख के सपनवा फूटलि ललकि किरनिया, चल तूहूँ लड़े ब...
एक दिन राजा मरले आसमान में ऊड़त मैना बान्हि के घरे ले अइले मैना ना एकरे पिछले जनम के करम कइलीं हम सिकार के धरम राजा कहें कुँवर से अब...
सूतन रहलीं सपन एक देखलीं सपन मनभावन हो सखिया। फूटलि किरनिया पुरुब असमनवा उजर घर आँगन हो सखिया। अँखिया के नीरवा भइल खेत सोनवा त खेत...