
हमार बचपन लौटा दऽ - अशोक कुमार मिश्र
हे माई! तनी फेरू एक बेर अपना आंचर के छांव में तनी सुता दऽ सुस्ताए दऽ। जीनगी के आपाधापी-घुड़दौड़ में पहिलका अस्थान पावे खातिर हकासल, पिआसल द...
हे माई! तनी फेरू एक बेर अपना आंचर के छांव में तनी सुता दऽ सुस्ताए दऽ। जीनगी के आपाधापी-घुड़दौड़ में पहिलका अस्थान पावे खातिर हकासल, पिआसल द...