
द्रौपदी - चन्द्रशेखर मिश्र
तू दुर्गा बनिके अईलू तोहरे बल वीर चलावत भाला। माई सरस्वती तू बनलू तोहरी किरिपा कविता बनि जाला। आठ भुजा नभचुम्बी धुजा नही मैहर मे सीढियाँ च...
तू दुर्गा बनिके अईलू तोहरे बल वीर चलावत भाला। माई सरस्वती तू बनलू तोहरी किरिपा कविता बनि जाला। आठ भुजा नभचुम्बी धुजा नही मैहर मे सीढियाँ च...
हमरे गाँव क बरखा लागै बड़ी सुहावन रे॥ सावन-भादौ दूनौ भैया राम-लखन की नाईं, पतवन पर जेठरु फुलवन पर लहुरु कै परछाईं। बनै बयार कदाँर क...
देखऽ अब का होला ! जवन कब्बो ना करे के तवनो कइलीं जहँवा गइले पाप परेला तहँवो गइलीं जनलस अरोस-परोस जानि गयल टोला देखऽ अब का होला ! ...
चंद्रशेखर मिश्र जी के एगो गीत ' गाँव क बरखा ' गाँव के जिनगी गुन गावत बे जेवन ओ सभ चीझ के बात करत बे जेवन हमनी रूपक लागी पर उँ...