
देशवा के दिहलु वरदान - भोलानाथ गहमरी
देशवा के दिलहु वरदान, मइया भारती देशवा के दिलहु वरदान । घर-घर में एकता के बहली बेयरिया, उगेला लगनिया के चान। सुरूज किरीन बनि जगली जवनिया म...
देशवा के दिलहु वरदान, मइया भारती देशवा के दिलहु वरदान । घर-घर में एकता के बहली बेयरिया, उगेला लगनिया के चान। सुरूज किरीन बनि जगली जवनिया म...
डोले चइत-बइसखवा पवन, हंसि मारे अगिनिया के बान….. धरती के जैसे ढरकलि उमिरिया, तार-तार हो गइली धानी चुनरिया, कुम्हला गइल फूलगेनवा बदन…...
उठेला करेजवा में पीर बारी धनियां उठेला .......... । तोहरे कारन गोरी घर बार छोड़लीं छोडलीं नगरिया के लोग ओही कलकतवा के छोड़लीं नोक...
काँट –कुश से भरल डगरिया, धरीं बचा के पाँव रे माटी ऊपर, छानी छप्पर, उहे हामरो गाँव रे….. चारों ओर सुहावन लागे, निर्मल ताल-तलैया, अम...
डोलि गइल पतइन के पात-पात मन, जब से छु गइल पवन। पाँव के अलम नाहीं बाँह बे-सहारा, प्रान एक तिनिका पर टंगि गइल बेचारा, लाग...
जब-जब देसवा पर परली बिपतिया मोर सिपाही हो, जिया के तूँही रखवार बाप-महतारी तेजलऽ तेजलऽ जियावा मोर सिपाही ...
कवने खोतवा में लुकइलू आहि रे बलमु चिरई। आहि रे बलूम चिरई, आहि रे बलमु चिरई। बन-बन ढुँढली दर-दर ढुँढली ढुँढली नदी के तीरे सांझ क...
ताड़ पर से उतरल खजूरे पर अँटकल सपना के जंगल में आगि कहीं दहकल। सपना... जिनिगी के पोखरा में रोज पड़ल जाल, बाहर से भीतर ब...