
आँख अब रउरा लगा के का करब - पी.चंद्रविनोद
आँख अब रउरा लगा के का करब? आन का घर जो हमेसे बा परब! धुंध से भर जाय जो आपन गली रोशनी के जोर के कइसे छली होड़ में जी, जान देके का बरब? ...
आँख अब रउरा लगा के का करब? आन का घर जो हमेसे बा परब! धुंध से भर जाय जो आपन गली रोशनी के जोर के कइसे छली होड़ में जी, जान देके का बरब? ...