
नदी भइल नैना - जगदीश ओझा ‘सुन्दर’
सगरी बिपतिया के गाड़ भइल जिनिगी नदी भइल नैना पहाड़ भइल जिनिगी आग जरे मनवा में धधकेले सँसिया असरा में धुँआ उठे प्रान चढ़ल फँसिया देह...
सगरी बिपतिया के गाड़ भइल जिनिगी नदी भइल नैना पहाड़ भइल जिनिगी आग जरे मनवा में धधकेले सँसिया असरा में धुँआ उठे प्रान चढ़ल फँसिया देह...
जनमे के सूतल, जिनिगिया से रूठल टूटलि ना निनिया तोहार बतावऽ भइया, जगब ऽ त कहिया ले जगबऽ? खेतवा जगावे, खेतनिया जगावे अमवा-महुइया ब...
सगरी बिपतिया के, गाड़ भइलि जिनिगी। नदी भइल नैना, पहाड़ भइलि जिनिगी। आग जरे मनवा में, धधकेले सँसिया असरा में धुआँ उठे, परान चढ़ल फँ...
ना जाने जे अँखिया में केतना ले लोर बा ॥ प्यारी-प्यादी अँखिया में कारी-कारी पुतरी पलक का खोंता जइसे झाँकेली कबूतरी जेतने छलके भरि...