
चटनी - सुभाष पाण्डेय
माई सिलबट्टा पर मरिचा, नून आ लहसुन के चटनी पिसत समुझवली- बाबू हो! अलग-अलग बा ए तीनू के स्वाद, आपन रूप, आपन रंग, आपन गुन, आपन बुनियाद। खाली म...
माई सिलबट्टा पर मरिचा, नून आ लहसुन के चटनी पिसत समुझवली- बाबू हो! अलग-अलग बा ए तीनू के स्वाद, आपन रूप, आपन रंग, आपन गुन, आपन बुनियाद। खाली म...
हमरा खातिर उज्जर दिनआ अँजोरिया रात का बा? हवा के झकोरा से उधियाइल माँटी में लसराइल ओही में समाइल माँटी में मिलि के माँटी बनि गइल माँटी खातिर...
छोड़ा के हाथ जनि जाईं, अबे कुछ साँस बाकी बा। तनिक बिलमीं गजल गाईं, अबे कुछ साँस बाकी बा। अबे हठ बा निहारबि मौत के अपनी तबे जाइबि, विदा के गी...
नेता जी सोमार के गाँव में वोट माँगे आवेवाला रहनीं। अतवारे के साँझि के नेता जी के खास पूरन घर-घर फूल के माला बाँटत रहलें। पूरन के गिनती गाँव ...
ज्ञान गुन रीति लूर आ जाई। प्यार होते सहूर आ जाई। डीठि लागल रही निसाना पर कुछ ना कुछ तऽ जरूर आ जाई। जाम साकी शराब मौसम बा घूँट मारीं सुरूर आ...
बेफिकिर नदिया नहाइल ना भुलाइल आजु ले। धूरि में देहिया सनाइल ना भुलाइल आजु ले। जेठ के तपती दुपहरी आम की बगिया में जा तुरि टिकोरा नून खाइल ना ...
हमरा जइसन निपट सोझबक अदिमी का बिराट ब्यक्तित्व चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह 'आरोही" जी पर कुछुओ लिखल सूरुज के दीया देखलवला जइसन बा। ए ...
नेता जी भर गर गेना का फूल के माला पहिनले, दुनू हाथ जोरले, मन्द- मन्द मुसुकात आगे- आगे चलत रहनीं। पीछे से कानफारू सुर में नारा लागत रहे। हमार...
चलऽ फुलेसर रङ्ग उड़ावऽ चलऽ फुलेसर रङ्ग उड़ावऽ। सुख-दुख लागल रही उमिर भर, कुछ दिन त आनन्द मनावऽ। चलऽ फुलेसर, रङ्ग उड़ावऽ॥ धरती पहिन पिअ...
का कहीं अपनी बेचैनी के कहानी ए मिता! जाल मकड़ी के बना अझुरा के छपटाइले हम। एक ठाँवें एक छन ले ना बिलमनीं आजु ले, बनि के मर्कट बिबिध डाढ़ी कू...
खोजि ले ले दानापानी नन्हकी चिरईया, ऊ केहू से ना माँगे कबो हाथ फइलाइ के। चोरी, बरजोरी, सीनाजोरी, झकझोरी नाहीं, खुद में मगन जँवजाल बिसराइ के...
बदरी आवऽ हमरी नगरी, नजरी डगरी ताकति बा। सूखल पनघट, पोखर, कुइयाँ असरा गिरल चिताने भुइयाँ छलके नाहीं जल से गगरी, नजरी डगरी ताकति बा। बूढ़...
जे फूल से घाही हो ओपर पत्थर बरिसावल ठीक ना हऽ। मन सबके हऽ प्रभु के मन्दिर मन्दिर भहरावल ठीक ना हऽ। ई जिनिगी हऽ, ए जिनिगी में कुछ मान मिली,...
हम तऽ बस खरची जुटिआईं, राजनीति रउरा जिम्मे। जाति, धर्म, पाखंड, लड़ाई, राजनीति रउरा जिम्मे। मननीं रउरे बतलावेनीं, का खाईं, का पहिनीं हम? ...
चलऽ फुलेसर रङ्ग उड़ावऽ। सुख-दुख लागल रही उमिर भर, कुछ दिन त आनन्द मनावऽ। चलऽ फुलेसर, रङ्ग उड़ावऽ॥ धरती पहिन पिअरकी साड़ी फगुआ के कइली तइय...
जे फूल से घाही हो ओपर, पत्थर बरिसावल ठीक ना ह। मन सबके हऽ परभु के मन्दिर, मन्दिर भहरावल ठीक ना ह। ई जिनिगी हऽ, ए जिनिगी में, कुछ मान मिली...
तनिको भनक मिले अइला के, बगिया सजी फुलाऽ जाला। निमन गीत लिखाऽ जाला॥ सत- सत पोरसा मनवाँ कूदे, तन सम्हरे न सम्हारे। कोस- ...