
महेंद्र मिश्र के चार गो कविता
हम त जनलीं कि बबुआ इनाम दीहें हम त जनलीं कि बबुआ इनाम दीहें। हम नाहीं जनलीं कि जाने लीहें। बबुआ। केकई कारण हम अता दुख सहतानी लाखन सि...
हम त जनलीं कि बबुआ इनाम दीहें हम त जनलीं कि बबुआ इनाम दीहें। हम नाहीं जनलीं कि जाने लीहें। बबुआ। केकई कारण हम अता दुख सहतानी लाखन सि...
ई त बूढ़वा दुलहवा बड़ा मजेदार। अटपट बोले मगर बाटे होसियार।। पूरी कचवरी अउर हलुआ खिलाइबों, चीनी के नीमकी अउर आम के अँचार। ई त बूढ़वा दुलहवा...
मउजे मिश्रवलिया जहाँ विप्रन के ठट्ट बसे सुन्दर सोहावन जहाँ बहुते मालिकान है। गाँव के पश्चिम में बिराजे गंगाधर नाथ सुख के सरूप ब्रह्मरूप...
भोरहीं के भूखे होइहें चलत पग दूखे होइहें प्यासे मुख सूखे होइहें जागे मगु रात के। सूर्य के किरिन लागी लाल कुम्हिलाये होइहें कंठै लपटाय...
हम त जनलीं कि बबुआ इनाम दीहें। हम नाहीं जनलीं कि जाने लीहें। बबुआ। केकई कारण हम अता दुख सहतानी लाखन सिकाइतो खूब सहलीं रे बबुआ। बिन...
हमहूं त रहली जलके मछरिया जालवा फंसवल ए माधो माधो धई देलऽ तलफी भुंभुरिया कि जियते जरवल ए माधो। हमहूं रहलीं भोरी रे चि र इया...
मउजे मिश्रवलिया जहाँ विप्रन के ठट्ट बसे सुन्दर सोहावन जहाँ बहुते मालिकान है। गाँव के पश्चिम में बिराजे गंगाधर नाथ सुख के सरूप ब्र...
आवत राम रघुकुल चंद। कुशल मंगल सहित-हर्षित लखन जानकी संग। हरसी बरसहीं सुमन सुरनभ सरजू बढ़त उमंग। सिद्ध मुनि नरनाग किन्नर सबहीं होत अन...
कोसिला सुमित्रा रानी करेली सगुनवाँ से कब अइहें रामजी भवनवाँ हो लाल। ताहिरे समइए रामा एक सखी बोलली कि आई गइले राम दुनू भइया हो लाल...
खेत खरिहानी जाली हाली-हाली खाली लेके खुरूपी कुदारी झूर कोरेली डँरार के। झगड़ेली राहे बाटे घरे कुकुराह करे घरे-घरे घूमे जइसे कुतिया...
आपना पति के देखि रोई-रोई बात-करे अनका पती के देखि हँसेली ठठार के। माथा खजुआवे बाजूबंद झनकावे अरू अँखिया लडावे चले छतिया उघार के। ...
अनका पति के देखि चार गाल बात करे अपना पती के देख खटिया पर कोहँरी। चुल्हिया लिपावन लागे हँड़िया धोवावन लागे पनिया भरावन लागे छुए दे...
नित-नित देखीले सपनवाँ हो रघुनाथ कुँवर के। बन के गमन कीन्हीं हमनी के तजी दिन्हीं, ना जाने कवनी करनवाँ हो रघुनाथ कुँवर के। चउदह बर...
महेन्दर मिसिर एगो विलक्षण गुनी आ धूनी के नाम ह। उनकर व्यक्तित्व कवनो एगो मोनिया में ना बंद रहे, ऊ त अइसन पारा रहले कि जेके जवने कोर से प...
हथिया दंतरवा सोभे सोना के अमरीया हे। ताही चढ़ी आवेले दुलहा अलबेलवा हे। दुलहा सोहावन लागे हुलसे ला छतिया हे। रामजी के परिछत फड़केली अ...
कटहर खरबंदा कचनार ओ कदंब अंब जम्बू फल कैंत केरा नीमू वो अनार हैं। अमला अमरूद बइर सेब नासपाती तूत बैल अबर बरहरे से तो झुके सभ डार ...
सभका के देलऽ रामजी अनधन सोनवा बनवारी हो हमरा के लरिका भतार। लरिका भतार ले के सुतली अँगनवा बनवारी हो रहरी में बोलेला सियार। सिय...
राम लखन मोरा गोदी के खेलवना से हमरा के तेजी कहाँ गइलें हो लाल। के अब खइहें राम माखन मलइया से के अब खैहें मिठइया हो लाल। महल अटार...
आहो कान्हा ई का कइलऽ, आ हो कान्हा ई का कइलऽ। भूलि गइलऽ बचपन की बात कान्हा, ई का कइलऽ। बनवाँ कीला में काँट मोरा निकललऽ कान्हा ई का कइलऽ। ...
चिहुँकेली बार-बार अँचर उतार चले बे हँसी के हँसी पति देख कहँरी। मार-मार हलुआ निकाले ऊ भतरऊ के डाँट के बोलावे कोई बात में ना ठहरी। घरे-...