
हे मन रामनाम चित धौबे - भीखा साहब
हे मन रामनाम चित धौबे।। काहे इतउत धाइ मरत हव अवसिंक भजन राम से धौबे। गुरु परताप साधु के संगति नाम पदारथ रुचि से खौबे।। सुरति निरति अंतर...
हे मन रामनाम चित धौबे।। काहे इतउत धाइ मरत हव अवसिंक भजन राम से धौबे। गुरु परताप साधु के संगति नाम पदारथ रुचि से खौबे।। सुरति निरति अंतर...
मन अनुरागल हो सखिया।। नाहीं संगत और सौ ठक-ठक, अलख कौन बिधि लखिया जन्म मरन अति कष्ट करम कहैं, बहुत कहाँ लगि झँखिया।। बिनु हरि भजन को भ...
भोजपुरी साहित्य के विकास के क्रम में एक से बढि के एक संतन के जोगदान बा। ओही परम्परा आगे बढावले बानी भीखा साहब जी। इंहा कऽ भोजपुरी कऽ कबी...