अँठई - राजीव उपाध्याय

बहुत दिन बाद जब गइया से
भेंट भउवे काल्ह
दूहे के बेरा
इयाद से झूरी झरि
साफ लउके लगुए सभ!

हाल चाल पूछतीं ओकर
अउरी सुनइतीं कुछ बात आपन
कि गोड़ छनले अँठई भूअर
खून चूसत हँसुए ठठा के!

किलनी के हँसी गइया पऽ रहुए
कि समझ हमरे के अँठई
असली परिचय
हमसे हमार करऊए!
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लेखक परिचय:-
पता: बाराबाँध, बलिया, उत्तर प्रदेश
लेखन: साहित्य (कविता व कहानी) एवं अर्थशास्त्र
संपर्कसूत्र: rajeevupadhyay@live.in
दूरभाष संख्या: 9650214326

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