जब से सावन बा सुगबुगाइल - विद्या शंकर विद्यार्थी
जब से सावन बा सुगबुगाइल, तबे से हियरा तरसे ना दूजे जोर घटा घेरी आइल, घेरी-घेरी बदरा बरसे ना। तब...। बानी अकसरूआ बानी दिन रात सोचतानी नेहिय...
जब से सावन बा सुगबुगाइल, तबे से हियरा तरसे ना दूजे जोर घटा घेरी आइल, घेरी-घेरी बदरा बरसे ना। तब...। बानी अकसरूआ बानी दिन रात सोचतानी नेहिय...
कइसे खेले जाइब सावन में कजरिया बदरिया घिरि आइल ननदी ॥ घर से निकसी अकेली, सँग में एको ना सहेली गुण्डा रोकि लेले बिचहीं डगरिया बदरिया घिर...
तरसत जियरा हमार नैहर में। बाबा हठ कीनॊ, गवनवा न दीनो बीत गइली बरखा बहार नैहर में। फट गई चुन्दरी, मसक गई अंगिया टूट गइल मोतिया के हार, न...
कईसे खेले जईबु सावन में कजरिया बदरिया घेरि आइल ननदी। तू तौ जात हौ अकेली कौनो संग न सहेली गुण्डा रोकि लींहें तोहरी डगरिया बदरिया घेरि आइ...
झीर-झीर बरिसे अँगनवा, सवनवा के चोन्हा लागल बलमु चोन्हा लागल बलमु हो चोन्हा लागल बलमु, सवनवा के चोन्हा लागल बलमु ढरके नयनवा के दोना, हो सव...
बदरी आवऽ हमरी नगरी, नजरी डगरी ताकति बा। सूखल पनघट, पोखर, कुइयाँ असरा गिरल चिताने भुइयाँ छलके नाहीं जल से गगरी, नजरी डगरी ताकति बा। बूढ़...
सेजिया पे लोटे काला नाग हो कचौड़ी गली सून कैले बलमु। मिर्जापुर कैले गुलजार हो, कचौड़ी गली सून कैले बलमु। एही मिर्जापुर से उडल जहजिया, सैं...